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काश, तुम आ जाते
फाल्गुनी दिन भर की तपी हुई छत मुझ पर बरसती रही टप-टपतुम्हारी गीली यादें, काश, तुम आ जाते। दिन भर की थकी हवा मुझमें सरकती रही जरा-जरा तुम्हारी रसीली बातें, काश, तुम आ जाते। अमराई पर देखी बहकी हुई कोयल बजती रही मेरी पायल तुम्हारा नाम गाते-गाते काश, तुम आ जाते। सेमल के कोमल फूलों का मिला संदेसा शूलों सा तुम रूक गए आते-आते काश, तुम आ जाते।महकी मन में पकी निंबौरी तरसी मेरी बाँहे गोरी-गोरी तुम्हारा साथ पाते-पाते, काश, तुम आ जाते।