• Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. »
  3. रोमांस
  4. »
  5. प्रेम-गीत
  6. अब मुझे चलना होगा
Written By WD

अब मुझे चलना होगा

रोमांस इश्क प्रेम प्यार मोहब्बत लव प्रेम गीत कविता
सर्वेंद्र विक्रम

न चाहते हुए भी छूट ही गए
शहर दोस्त और उम्र के हसीन पल
अब मुझे चलना होगा
तुम्हें भी छोड़कर
तुम्हारे चेहरे पर उभर आया दर्द रोकता है मुझे
और तब मैं सोचता हूँ कि हम एक फ्रेम में जड़
कोई स्थायी दृश्य क्यों नहीं हो सकते

रेल की पटरियों की तरह
क्यों नहीं बने रह सकते साथ साथ
मगर दृश्यों के फ्रेम में कहाँ होता है सच
उनमें भी छूटा हुआ समय रहता है
पटरियों की तरह साथ सिर्फ प‍टरियाँ रह सकती हैं
ठंडी और पस्त पड़ी हुई
हमारे पास तो सुलगते दिल हैं उफनता जीवन
मैं क्या बताऊँ
कैसा है ये
इस तारों भरी रात तुम्हें छोड़कर जाना।