प्रेम कविता : तुम्हारी चाहतों में...
सर्द है हवाएं, बेदर्द बना मौसम।
तुम्हारी ही चाहतों में।
रातें गुजारते है।
करवट बदल-बदल के।
सोचते-विचारते है।
तुम्हारी ही चाहतों में।
रातें गुजारते है।
आती है याद जो।
छुप-छुप के बिताए थे।
तुम्हें भी याद होगा जो।
गीत गाए थे।
दर्द अपने दिल का।
लिख कर निकालते है।
तुम्हारी ही चाहतों में।