बहुत कुछ लिखने की उत्कंठा बहुत कुछ कहने की त्वरा, मुझे विवश कर जाती है न कुछ लिख पाती हूँ न कुछ कह पाती हूँ अभिव्यक्ति की विवशता पर तुम ही कुछ लिखो मैं अपनी व्यग्रता को उसी में देखना समझना और महसूसना चाहती हूँ। ------ तुमसे जी भरकर नफरत करने के बाद तुम्हें देखना मुझे अनुभूतिविहीन कर गया अपनी इस रिक्तता का दोष किसे दूँ मैं?