कोटेश्वर महादेव मंदिर
नर्मदा के उत्तर तट पर बसा कश्यप आश्रम
सिद्धवरकूट क्षेत्र से पांच कि.मी. पश्चिम में नर्मदा के उत्तर तट पर कश्यप आश्रम ग्राम कोठावा में स्थित है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार यहां कश्यप ऋषि के पुत्र करजेश्वर ने शिव आराधना कर उन्हें प्रसन्न किया और शिवलिंग की स्थापना की थी। ब्रह्मलीन लक्ष्मीनारायणजी कश्यप इस आश्रम के संस्थापक गुरु रहे हैं। कश्यप आश्रम से चार कि.मी. उत्तर में च्यवन ऋषि का आश्रम है। जड़ी-बूटियों के वृक्षों से सुशोभित और जल की अनवरत बहती औषधीय जलधारा इस आश्रम के मुख्य आकर्षण हैं।
कश्यप आश्रम से एक कि.मी. पश्चिम में नर्मदा के उत्तर तट पर कोटेश्वर महादेव मंदिर है। एकांत स्थान में स्थित यह अतिप्राचीन होकर अहिल्यादेवी द्वारा स्थापित बताया जाता है। कोटेश्वर के समीप ही पश्चिम की ओर नब्बे के दशक में विकसित दुलारी बापू का स्थान है, जो आधुनिक रूप से निर्मित संगमरमर का है। यहां दुलारी बापू अपने भक्तों को आशीष देने हेतु, नर्मदा आराधना में तल्लीन रहते हैं। च्यवन आश्रम और कोटेश्वर के मध्य हनुमान माल पर स्थापित हनुमानजी की प्रतिमा, गाय की प्रतिमा इतनी ऊंची पहाड़ी पर स्थित है कि चढ़ने में सांस फूलने लगती है। यह प्रतिमाएं और पत्थरों की दीवार प्राचीन बस्ती होने का प्रमाण देती हैं।