प्रसिद्ध है एलीफेंटा की गुफाएं
इतिहास का झरोखा
महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई से लगभग 12 किमी दूर एलीफेंटा की गुफाएं अपनी कलात्मकता के कारण प्रसिद्ध है। पांचवीं और सातवीं शताब्दी में निर्मित यहां सात गुफाएं हैं। हालांकि 9वीं से 13वीं शताब्दी में सिल्हारा वंश के राजाओं द्वारा मूर्ति निर्माण के भी प्रमाण हैं। यहां की मुख्य गुफा में 26 स्तंभ हैं, जिसमें भगवान शिव को अनेक रूपों में उकेरा गया है। पहाड़ों को काटकर बनाई गई ये मूर्तियां दक्षिण भारतीय मूर्तिकला से प्रेरित हैं। एलीफेंटा की गुफाओं को दो हिस्सों में बांटा जा सकता है। पहले हिस्से में पांच बड़ी हिन्दू गुफाएं और जबकि दो छोटी गुफाएं पर बौद्ध धर्म की छाप है। यहां का ऐतिहासिक नाम घारपुरी है। इन गुफाओं पर बने हाथियों की आकृति की वजह से 1534 में पुर्तगालियों द्वारा इसका नाम एलीफेंटा रखा गया। यहां पर हिन्दू देवी-देवताओं के अनेक मंदिर और मूर्तियां भी हैं। ये मंदिर पहाड़ियों का काटकर बनाए गए हैं।
भगवान शंकर के विभिन्न रूपों तथा क्रियाओं को दर्शाती नौ बड़ी-बड़ी मूर्तियां हैं, जिनमें त्रिमूर्ति प्रतिमा सबसे आकर्षक है। इस मूर्ति की ऊंचाई 17 फुट है। इसके अलावा पंचमुखी परमेश्वर, अर्धनारीश्वर, शिव का भैरव रूप आदि मूर्तियां भी आकर्षित करती हैं। एलीफेंटा की इन गुफाओं को सन् 1987 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर घोषित किया गया।