शुक्रवार, 14 मार्च 2025
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चारधाम यात्रा में धर्म की धूम...

- महेश पाण्डे

चारधाम यात्रा में धर्म की धूम... -
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उत्तराखंड में आस्था का सैलाब आया है। पहले महाकुंभ में लाखों लोगों की उपस्थिति से अविस्मरणीय स्थिति बनी तो अब चार धामों के दर्शन के लिए पिछले वर्ष के मुकाबले अधिक संख्या में लोग यहाँ पहुँच रहे हैं। इससे सरकारी और गैर-सरकारी इंतजाम चरमरा से रहे हैं।

हरिद्वार में सदी के पहले महाकुंभ में उमड़ी अपार भीड़ ने यह तो साबित कर ही दिया था कि लोगों में धार्मिक आस्था उमड़ रही है और अब राज्य के चार धामों में देव दर्शन को टूट पड़ रहे लोगों ने बता दिया है कि यह आस्था कम होने का नाम ही नहीं ले रही। आस्था का आकार व्यापक रूप लेती दिख रही है और पिछले वर्ष के मुकाबले चार धाम की यात्रा में इस वर्ष अधिक भीड़ देखने को मिल रही है।

मध्यप्रदेश के जबलपुर क्षेत्र से अपनी अंधी माँ को कंधे पर ढोकर चार धामों की यात्रा के लिए देवभूमि के चक्कर लगा रहा श्रवणकुमार अपनी माँ और उसकी धार्मिक आस्था के प्रति अपनी अटूट श्रद्धा की अनुपम प्रस्तुति कर रहा है। हालाँकि आस्था और विश्वास के इस सैलाब के सामने यात्रा के लिए किए गए तमाम सरकारी-गैर-सरकारी इंतजाम बहते नजर आ रहे हैं। टूटी सड़कें अब भी पुननिर्माण के क्रम में ही हैं। जगह-जगह मुख्य मार्गों पर जाम से पार पाना जहाँ एक बड़ी चुनौती बनी हुई है वहीं जगह-जगह खुदी सड़कें भी यात्रा में अनेक दिक्कतें खड़ी कर रही हैं।

बद्रीनाथ-केदारनाथ धामों के कपाट खुलने के बाद अब इनके अधीनस्थ मंदिरों के कपाट भी खुल चुके हैं। देवभूमि में धर्म की धूम मची है। बद्रीनाथ के अलावा पंचबद्री के मंदिरों एवं केदारनाथ के अलावा पंचकेदार मंदिरों में पूजा-अर्चना खूब हो रही है। बद्रीनाथ मंदिर के अंतर्गत आने वाले 27 और केदारनाथ मंदिर के अंतर्गत आनेवाले 16 अन्य मंदिरों में तो पूजा हो ही रही है।

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साथ ही गंगोत्री और यमुनोत्री के आसपास के कई अन्य महात्म्यपूर्ण स्थलों पर भी लोग उमड़ रहे हैं। इसमें भगीरथ शिला, गौरीकुंड, पटांगणा, गौमुख एवं उत्तरकाशी में खासी भीड़ जुट रही है। यमुनोत्री के आसपास केदारकुंड, दिव्यशिला, सप्तऋषि कुंड, खरसाली गाँव, गंगनाणी जैसे स्थलों से जुड़े पौराणिक मिथक श्रद्धालुओं को अपनी ओर खींच रहे हैं। बड़ी संख्या में पहुँच रहे श्रद्धालु केदार के साथ पंचकेदार और बद्रीनाथ के पंचबद्री मंदिरों सहित आसपास के अन्य रमणीक धार्मिक स्थलों की यात्रा करना नहीं भूल रहे।

भगवान केदारनाथ के पंचकेदार स्वरूपों में से एक केदारनाथ के दर्शनार्थ बड़ी संख्या में लोग पहुँच रहे हैं। ऋषिकेश से 223 किलोमीटर की बस यात्रा के बाद गौरीकुंड तक पहुँच कर लोग 14 किलोमीटर की पैदल यात्रा करते हैं। बड़ी संख्या में पैदल यात्रियों के बीच बाल-वृद्धों को घोड़ा व डांडी के माध्यम से भी यात्रा करता देखा जा सकता है। केदारनाथ तक हेलीकॉप्टर से पहुँचने की नई व्यवस्था का लाभ उठाने से भी लोग नहीं चूक रहे हैं।

हालाँकि जिन्होंने भी इस यात्रा मार्ग के ऊपर हेलीकॉप्टर से उड़ान भरी है वे पवित्र आस्था के साथ-साथ हिमालय के प्राकृतिक रूप पर भी खूब रीझे हैं। समुद्रतल से 3,581 मीटर की ऊँचाई पर स्थित भगवान केदारनाथ के मंदिर के पास चोराबारी ताल के दर्शन में भी लोगों की आस्था दिखती है। इस ताल को गाँधी ताल भी कहते हैं। इसका प्राकृतिक सौंदर्य भी सैलानियों को आकर्षित करता है। केदारनाथ मंदिर के चार अन्य केदारों में से एक माने जाने वाले मदमहेश्वर मंदिर में भी श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। यह मंदिर चौखंबा चोटी पर स्थित है। समुद्रतल से 3,289 मीटर की ऊँचाई पर स्थित इस मंदिर तक पहुँचने के लिए कालीमठ पहुँचकर 31 किलोमीटर का कठिन पर्वतारोहण करना पड़ता है। वहीं तुंगनाथ मंदिर की आभा से खिंचे चले आ रहे श्रद्धालु 3,680 मीटर की ऊँचाई तक की कठिन यात्रा कर रहे हैं।

हालाँकि यह अन्य मंदिरों के मुकाबले कम दुर्गम मार्ग है। यहाँ तक पहुँचने के लिए यात्री बस या कार द्वारा पहले कुंड गोपेश्वर मार्ग पर स्थित चोपता तक पहुँचते हैं और फिर तीन किलोमीटर की ट्रैकिंग करते हुए देव दर्शन के लिए मंजिल पाते हैं। श्रद्धालु रुद्रनाथ मंदिर भी पहुँच रहे हैं जो समुद्रतल से 2,286 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यहाँ पहुँचने के लिए गोपेश्वर केदारनाथ मार्ग के सागर नामक स्थल तक पहुँचना होता है। फिर 22 किलोमीटर की ट्रैकिंग करते हुए श्रद्धालु रुद्रनाथ पहुँचते हैं। कल्पेश्वर यानी पाँचवाँ केदार समुद्रतल से 2,134 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यहाँ पहुँचने के लिए श्रद्धालु पहले ऋषिकेश-बद्रीनाथ मार्ग पर हेलंग तक पहुँचते हैं और फिर यहाँ से 12 किलोमीटर की ट्रैकिंग करते हुए देव दर्शन का मार्ग प्रशस्त होता है।

इसी तरह बैकुंठपुरी जैसा महत्व रखने वाले बद्रीनाथ मंदिर के पंचबद्री मंदिरों के प्रति भी लोगों की अटूट श्रद्धा के दर्शन हो रहे हैं। समुद्रतल से 2,744 मीटर की ऊँचाई पर घने जंगलों से घिरा भविष्य बद्री मंदिर लोगों को खूब आकर्षित कर रहा है। तपोवन के पास सालधार से 19 किलोमीटर की ट्रैकिंग कर लोग यहाँ पहुँच रहे हैं।

योगध्यान बद्री का तृतीय बद्री मंदिर 1,920 मीटर की ऊँचाई पर पांडुकेश्वर नामक स्थान पर स्थित है। यह बद्रीनाथ मार्ग पर ही बद्रीनाथ से तेईस किलोमीटर पूर्व मुख्य रास्ते पर ही स्थित है। वृद्ध बद्री मंदिर भी बद्रीनाथ से आठ किलोमीटर पूर्व है। यह मंदिर मोटरमार्ग पर होने के कारण सबके लिए सुगम है। यह समुद्रतल से 1,380 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। इस मंदिर की खासियत यह है कि यह पूरे साल खुला रहता है। शीतकाल में भी इस मंदिर में पूजा-अर्चना होती रहती है। पाँचवीं बद्रीनाथ की मूर्तियों से सुशोभित आदि बद्री मंदिर में भी खूब लोग पहुँच रहे हैं।