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जैन हिन्दू संस्कृति का अभिन्न अंग : गणि राजेन्द्र विजय

जैन हिन्दू संस्कृति का अभिन्न अंग : गणि राजेन्द्र विजय - Jain integral part of Hindu culture
नई दिल्ली। सुखी परिवार अभियान के प्रणेता, प्रख्यात जैन संत गणि राजेन्द्र विजय ने कहा कि जैन धार्मिक अल्पसंख्यक हैं लेकिन वे हिन्दू संस्कृति का अभिन्न अंग हैं। शिक्षा, सेवा एवं जनकल्याण के कार्यों में सक्रियता से संलग्न इस समाज को सरकारी स्तर पर जिस तरह का प्रोत्साहन एवं प्राथमिकता मिलनी चाहिए, न मिलने के कारण ही जैन समाज अल्पसंख्यक का दर्जा पाने के लिए प्रयासरत रहा है और उसे सफलता मिली है।
 
राष्ट्रीय एकता एवं उसके समग्र विकास में जैन समाज सदैव अग्रणी रहा है। आज जब नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में एक नए भारत को निर्मित करने के अभिनव उपक्रम किए जा रहे हैं, जैन समाज का उसमें हरसंभव सहयोगी रहेगा।
 
गणि राजेन्द्र विजयजी कंस्टीट्यूशन क्लब में भारत सरकार द्वारा सुनील सिंघी को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग का सदस्य बनाए जाने पर समग्र जैन समाज की ओर से आयोजित अभिनंदन समारोह को संबोधित करते हुए वे बोल रहे थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता राज्यसभा सदस्य मेघराज जैन ने की।
 
गणि राजेन्द्र विजय ने सुनील सिंघी को अपना आशीर्वाद प्रदत्त करते हुए कहा कि एक सक्षम व्यक्ति को एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है। हमें भारत का स्वर्णिम विकास करना है, उसको संगठित करना है, सुदृढ़ करना है और उसकी पहचान भारतीयता के रूप में स्थापित करनी है। इसके लिए अब अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक जैसे विचारों से हमें ऊपर उठने की जरूरत है।
 
सुनील सिंघी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि केंद्र सरकार सभी वर्गों के लोगों के विकास का काम कर रही है और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के माध्यम से भी विकास की लहर को आगे बढ़ाते हुए अल्पसंख्यकों को सरकार द्वारा चलाए जा रहे कार्यों का लाभ दिलाने का भरपूर प्रयास रहेगा। 
 
उन्होंने आयोग में आ रहीं सभी शिकायतों का समय पर निदान किए जाने का भी आश्वासन दिया। सिंघी ने समग्र जैन समाज का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि वे जैन समाज के अधिकारों के लिए संघर्षरत रहेंगे। सांसद मेघराज जैन ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति में दायित्व और कर्तव्यबोध जागे, तभी लोकतंत्र को सशक्त किया जा सकता है। यही वक्त है, जब राष्ट्रीय एकता को संगठित किया जाना जरूरी है। अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक की राजनीति देश के लिए घातक है। राष्ट्रीयता के आधार पर वह हर व्यक्ति 'हिन्दू' है जिसे हिन्दुस्तान की नागरिकता प्राप्त है और जिसकी मातृभूमि हिन्दुस्तान है। जैन समाज को हिन्दू धर्म से पृथक करके नहीं देखा जा सकता।
 
जाति व धर्म के आधार पर इंसान को बांटने की नहीं, जोड़ने की जरूरत है। हमारा संविधान भी राष्ट्रीय एकता पर बल देता है, उसमें जाति एवं संप्रदाय का कोई स्‍थान नहीं है। जैन सभा दिल्ली के प्रो. रतन जैन ने जैन समाज को अल्पसंख्यक का दर्जा प्राप्त होने के लिए किए गए संघर्ष की पूरी दास्तान प्रस्तुत की।
 
इस अवसर पर सुनील सिंघी का भव्य अभिनंदन करते हुए अनेक वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए। जैन समाज को अल्पसंख्यक का दर्जा दिए जाने एवं सुनील सिंघी जैसे व्यक्तित्व को आयोग का सदस्य बनाए जाने पर खुशी व्यक्त करते हुए उनका शॉल, साहित्य एवं गुलदस्ते से स्वागत किया गया।
 
मूर्तिपूजक जैन समाज की ओर से राजकुमार जैन, जैन युवक संघ की ओर से राष्ट्रीय अध्यक्ष हरेशभाई शाह, दिल्ली शाखा के अध्यक्ष कैलाश मूथा, संस्थापक अध्यक्ष ललित नाहटा, तेरापंथ समाज की ओर से गोविंद बाफना, सुखराज सेठिया, संपतमल नाहटा, दिगंबर जैन समाज की ओर से मनेन्द्र जैन, 'पंजाब केसरी' के कार्यकारी अध्यक्ष स्वदेशभूषण जैन, जीतो की ओर से किशोर कोचर, सुखी परिवार फाउंडेशन के राष्ट्रीय संयोजक ललित गर्ग आदि ने अपनी शुभकामनाएं व्यक्त करते हुए सिंघी का अभिनंदन किया। कार्यक्रम के संयोजन में नितिन दुगड़ का उल्लेखनीय सहयोग रहा। 
 
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