गौमाता के पूजन के बारे में वेदशास्त्रों, धर्मग्रंथों में क्या कहा गया, ऋषिमुनियों और संतजनों ने गौमाता की जिस कृपा को प्राप्त किया उनके सभी तत्व अंश रूप में पाठकों के लिए प्रस्तुत किए जा रहे हैं।
गौमाता के बारे में 12 विशिष्ट बातें...
1. गौ के सींगों के अग्रभाग में साक्षात् जनार्दन विष्णुस्वरूप भगवान वेदव्यास रमण करते हैं।
2. उसके सींगों की जड़ में देवी पार्वती और सींगों के मध्यभागों में भगवान सदाशिव विराजमान रहते हैं।
3. उसके मस्तक में ब्रह्मा, कंधे में बृहस्पति, ललाट में वृषभारूढ़ भगवान् शंकर, कानों में अश्विनीकुमार तथा नेत्रों में सूर्य और चंद्रमा रहते हैं।
4. दांतों में समस्त ऋषिगण, जीभ में देवी सरस्वती तथा वक्षःस्थल में एवं पिंडलियों में सारे देवता निवास करते हैं।
5. गौ के खुरों के मध्य भाग में गंधर्व, अग्रभाग में चंद्रमा एवं भगवान् अनंत तथा पिछले भाग में मुख्य अप्सराओं का स्थान है।
6. उसके पीछे के भाग (नितंब) में पितृगणों का तथा भृकुटिमूल में तीनों गुणों का निवास बताया गया है।
7. उसके रोमकूपों में ऋषिगण तथा चमड़ी में प्रजापति निवास करते हैं।
8. गौ के उसके थूहे में नक्षत्रोंसहित श्रुतिलोक, पीठ में सूर्यतनय यमराज, अपान देश में संपूर्ण तीर्थ एवं गोमूत्र में साक्षात् गंगा विराजती हैं।
9. उसकी दृष्टि, पीठ एवं गोबर में स्वयं लक्ष्मीजी निवास करती हैं।
10. नथुनों में अश्विनीकुमारों का एवं होठों में भगवती चंडिका का वास है।
11. गौओं के जो स्तन हैं, वे जल से पूर्ण चारों समुद्र हैं।
12. उनके रंभाने में देवी सावित्री तथा हुंकार में प्रजापतिका वास है।
इनता ही नहीं समस्त गौएं साक्षात् विष्णुरूप हैं, उनके संपूर्ण अड़ों में भगवान् केशव विराजमान रहते हैं।