• Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. धर्म-दर्शन
  3. आलेख
  4. अक्षय नवमी पर करें पितरों का तर्पण
Written By

अक्षय नवमी पर करें पितरों का तर्पण

अक्षय नवमी
अक्षय नवमी धात्री तथा कुष्मांडा नवमी के नाम से भी जानी जाती है। इस दिन पितरों के शीत निवारण (ठंड) के लिए ऊनी वस्त्र व कंबल दान करना चाहिए।


 
* आंवला नवमी पर प्रातःकाल स्नान आदि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प करें। 
 
* तपश्चात धात्री वृक्ष (आंवला) के नीचे पूर्वाभिमुख बैठकर 'ॐ धात्र्ये नमः' मंत्र से आंवले के वृक्ष की जड़ में दूध की धार गिराते हुए पितरों का तर्पण करें। 
 
* कपूर व घी के दीपक से आरती कर प्रदक्षिणा करें। 
 
* विद्वान ब्राह्मणों को दक्षिणा भेंट करें।
 
* आंवले के वृक्ष के नीचे ब्राह्मणों को भोजन कराएं तथा खुद भी उसी वृक्ष के निकट बैठकर भोजन करें। 
 
* आंवला नवमी पर उज्जयिनी में कर्क तीर्थ यात्रा व नगर प्रदक्षिणा का विधान है। 
 
वर्षों पहले आंवला नवमी पर उज्जैनवासी भूखी माता मंदिर के सामने शिप्रा तट स्थित कर्कराज मंदिर से कर्क तीर्थ यात्रा का आरंभ कर नगर में स्थित प्रमुख मंदिरों पर दर्शन-पूजन कर नगर प्रदक्षिणा करते थे। कालांतर यह यात्रा कुछ लोगों द्वारा ही की जाती है।
 
धर्मशास्त्र अनुसार इस दिन स्नान, दान, यात्रा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।