ये तो सभी जानते हैं कि वेद ही हिन्दुओं के धर्मग्रंथ हैं। वेद 4 हैं- ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद। उक्त चारों वेदों के ज्ञान को व्यवस्थित या विषयबद्ध कर ऋषियों ने लोगों को समझाया। जिस ऋषि ने वेदों के ज्ञान को अपने तरीके से लिखा उसके नाम पर एक ग्रंथ बन गया जिसे स्मृति ग्रंथ कहते हैं। सबसे पहले राजा मनु ने वेदों के ज्ञान को एक व्यवस्था में ढाला था इसलिए मनुस्मृति की चर्चा ज्यादा होती है।
प्रमुख स्मृति ग्रंथ : मनु, याज्ञवल्क्य, पराशर, आपस्तंब, नारद, अत्रि, विष्णु, हरीत, औषनासी, अंगिरा, उशनस, यम, कात्यायन, उमव्रत, बृहस्पति, व्यास, दक्ष, गौतम, वशिष्ट, संवर्त, शंख, गार्गेय, देवल, शरतातय और शातातप स्मृति।
यह सुनिश्चित करने के लिए कि प्राचीन ग्रंथ एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में मूल रूप में हस्तांतरित होते रहें, प्राचीन भारतीय ऋषियों ने बहुत मेहनत के बाद वेदपाठ की कुछ विधियां विकसित की थीं। उनमें से 11 प्रमुख थीं। उनमें से भी अब प्रमुख रूप से 3 विधियों को महत्वपूर्ण माना जाता है। ये विधियां हैं- जटा-पाठ, ध्वजा-पाठ और घन-पाठ।
संकलन : अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'