वेद के बाद मनुस्मृति कितनी पुरानी, जानिए
अग्निवायुरविभ्यस्तु त्र्यं ब्रह्म सनातनम।
दुदोह यज्ञसिध्यर्थमृगयु: समलक्षणम्।। मनु 1/13
अर्थात : जिस परमात्मा ने आदि सृष्टि में मनुष्यों को उत्पन्न कर अग्नि आदि चारों ऋषियों द्वारा चारों वेद ब्रह्मा को प्राप्त कराए उस ब्रह्मा ने अग्नि, वायु, आदित्य और (तू अर्थात) अंगिरा से ऋग, यजु, साम और अथर्ववेद का ग्रहण किया।
मनुस्मृति में वेदसम्मत वाणी का खुलासा किया गया है। वेद को कोई अच्छे से समझता या समझाता है तो वह है मनुस्मृति। यह मनस्मृति पुस्तक महाभारत और रामायण से भी प्राचीन है। गीता प्रेस गोरखपुर या फिर गायत्री परिवार से प्रकाशित मनुस्मृति को ही पढ़ना चाहिए, क्योंकि अन्य प्रकशनों की मनुस्मृति पर भरोसा नहीं किया जा सकता कि वह सही है या नहीं। ऐसे भी मनुस्मृति है जिसमें कुछ सूत्रों श्लोकों के साथ छेड़कानी करके उसे खूब प्रचारित और प्रसारित किया गया है। खैर...
ऐतिहासिक प्रमाणों और साहित्यिक तथ्यों के अनुसार महाभारत का रचनाकाल 3150 ईसा पूर्व अर्थात आज से लगभग 5,165 वर्ष पूर्व का माना जाता है। महाभारत में महाराजा मनु की चर्चा बार-बार की गई है (महाभारत अनुशासन पर्व और शांतिपर्व देखें), किंतु मनुस्मृति में महाभारत, कृष्ण या वेदव्यास का नाम तक नहीं है।
उसी तरह आधुनिक शोध के अनुसार राम का जन्म 10 जनवरी 5114 ईसा पूर्व हुआ था अर्थात आज से 7,128 वर्ष पूर्व। लगभग इसी काल में वाल्मीकिजी ने रामायण लिखी थी। महर्षि वाल्मीकि रचित रामायण (वाल्मीकि रामायण 4-18-30, 31, 32 देखें) में मनुस्मृति के श्लोक व महाराज मनु की प्रतिष्ठा मिलती है किंतु मनुस्मृति में वाल्मीकि या भगवान राम आदि का नाम तक नहीं मिलता।
महाभारत और रामायण में ऐसे कुछ श्लोक हैं, जो मनुस्मृति से ज्यों के त्यों लिए गए हैं। अतः अब सिद्ध हुआ कि मनु महाराज श्रीकृष्ण और राम से पहले हुए थे और उनकी मनुस्मृति उन्हीं के काल में लिखी गई थी।
तब कितनी पुरानी है मनुस्मृति? सन् 1932 में जापान के एक बम विस्फोट द्वारा चीन की ऐतिहासिक दीवार का एक हिस्सा टूट गया था। टूटे हुए इस हिस्से से लोहे का एक ट्रंक मिला जिसमें चीनी भाषा में एक प्राचीन पांडुलिपियां भरी हुई थीं।
चीन से प्राप्त पुरातात्विक प्रमाण-
विदेशी प्रमाणों में मनुस्मृति के काल तथा श्लोकों की संख्या की जानकारी कराने वाला एक महत्वपूर्ण पुरातात्विक प्रमाण चीन में मिला है। सन् 1932 में जापान ने बम विस्फोट द्वारा चीन की ऐतिहासिक दीवार को तोड़ा तो उसमें से एक लोहे का ट्रंक मिला जिसमें चीनी भाषा की प्राचीन पांडुलिपियां भरी थीं। ये पांडुलिपियां सर आगस्टस रिट्ज जॉर्ज (Sir Augustus Fritz) के हाथ लग गईं और उन्होंने इसे ब्रिटिश म्यूजियम में रखवा दिया था। उन पांडुलिपियों को प्रोफेसर एंथोनी ग्रेम ( Prof. Anthony Graeme) ने चीनी विद्वानों से पढ़वाया तो यह जानकारी मिली...
चीन के राजा शी लेज वांग (Chin-Ize-Wang) ने अपने शासनकाल में यह आज्ञा दी कि सभी प्राचीन पुस्तकों को नष्ट कर दिया जाए। इस आज्ञा का मतलब था कि कि चीनी सभ्यता के सभी प्राचीन प्रमाण नष्ट हो जाएं। तब किसी विद्याप्रेमी ने पुस्तकों को ट्रंक में छिपाया और दीवार बनते समय चुनवा दिया। संयोग से ट्रंक विस्फोट से निकल आया।
चीनी भाषा के उन हस्तलेखों में से एक में लिखा है कि मनु का धर्मशास्त्र भारत में सर्वाधिक मान्य है, जो वैदिक संस्कृत में लिखा है और 10,000 वर्ष से अधिक पुराना है तथा इसमें मनु के श्लोकों की संख्या 680 (?) भी बताई गई है। ...किंतु वर्तमान में मनु स्मृति में 2400 (?) के आसपास श्लोक हैं।
इस दीवार के बनने का समय लगभग 220 से 206 ईसा पूर्व का है अर्थात लिखने वाले ने कम से कम 220 ईसा पूर्व ही मनु के बारे में अपने हस्तलेख में लिखा। 220+10,000= 10,220 ईसा पूर्व मनुस्मृति लिखी गई होगी अर्थात आज से 12,234 वर्ष पूर्व मनुस्मृति उपलब्ध थी।
हिन्दू धर्मग्रंथों के अनुसार राजा वैवस्वत मनु का जन्म 6382 विक्रम संवत पूर्व वैशाख कृष्ण पक्ष 1 को हुआ था अर्थात ईसा पूर्व 6324 को हुआ था। इसका मतलब कि आज से 8,328 वर्ष पूर्व राजा मनु का जन्म हुआ था।
वैवस्वत मनु को श्राद्धदेव भी कहते हैं। इन्हीं के काल में विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था। इनके पूर्व 6 और मनु हो गए हैं। स्वायंभुव मनु प्रथम मनु हैं, तो क्या प्रथम मनु के काल में मनुस्मृति लिखी गई? स्वायंभुव मनु 9057 ईसा हुए थे। ये भगवान ब्रह्मा की दो पीढ़ी बाद हुए थे।
कुछ इतिहासकार मानते हैं कि उनका काल 9000 से 8762 विक्रम संवत पूर्व के बीच का था अर्थात 8942 ईसा पूर्व उनका जन्म हुआ था। इसका मतलब आज से 10,956 वर्ष पूर्व प्रथम राजा स्वायंभुव मनु थे। तो कम से कम आज से 10,000 वर्ष पुरानी है हमारी 'मनुस्मृति'।
संदर्भ :
Education in the Emerging India (R.P. Pathak)
मनु धर्मशास्त्र : ए सोशियोलॉजिकल एंड हिस्टोरिकल स्टडीज' (मोटवानी)