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Written By WD Feature Desk
Last Updated : शुक्रवार, 22 अगस्त 2025 (09:55 IST)

Mahakal shringar: टूटकर गिरा महाकाल का भांग श्रृंगार, अनहोनी की आशंका, क्या सच में होगी कोई बड़ी घटना

ujjain mahakal shivling bhang shringar fell
Photo Source Social Media

ujjain mahakal shivling bhang shringar fell: उज्जैन के महाकाल मंदिर में एक ऐसी घटना घटी, जिसे कुछ लोग अशुभ मानकर इसे भविष्‍य में किसी प्रकार की अनहोनी से जोड़कर देख रहे हैं। हालांकि कुछ लोग इसे एक सामान्य घटना के रूप में देख रहे हैं। 18 अगस्त को सोमवार को रात 8 बजे महाकाल मंदिर के पुजारी ज्योतिर्लिंग पर भांग से श्रृंगार कर रहे थे, तभी अचानक मुखौटा टूटकर गिर गया। हालांकि पुजारियों ने तुरंत ही दोबारा श्रृंगार कर दिया और आरती संपन्न की। यह पूरी घटना सीसीटीवी में रिकॉर्ड हो गई है। घटना की खबर लगते ही लोग तरह-तरह की चर्चाएं करने लगे हैं। कुछ ज्योतिषाचार्य तो इसे किसी बड़ी घटना का इशारा बता रहे हैं। क्या सच में होने वाला है ऐसा कुछ। अभी लगातार महाकाल मंदिर से जुड़ी ऐसी घटना सामने आ रही हैं, जिससे देश-दुनिया में तरह-तरह की बातें हो रही हैं।
 
श्रृंगार के बारे में खास जानकारी:
1. मंदिर में भस्मार्ती, संध्या आरती और शयन आरती के दौरान भगवान का भांग से श्रृंगार किया जाता है, जिसमें लगभग 3 किलो भांग भगवान को अर्पित की जाती है।
 
2. विशेष उत्सव और पर्वों पर महाकाल बाबा का पर्व के अनुसार स्वरूप बनाया जाता है। जैसे कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर महाकाल का श्रृंगार कृष्ण के स्वरूप में होता है और अब गणेश उत्सव के दौरान गणेशजी का स्वरूप रहेगा। 
 
3. भगवान महाकाल का हर रोज भांग से आकर्षक श्रृंगार किया जाता है। भांग का श्रृंगार से समुद्र मंथन के दौरान भगवान द्वारा विष पीने की कथा जुड़ी हुई है। इसलिए उन्हें ठंडक प्रदान करने के लिए यह श्रृंगार करने की परंपरा है। ये परंपरा सदियों से चली आ रही है। 
 
4. इस समय भाद्रपद का महीना चल रहा है। 18 अगस्त को कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि के दिन राजसी सवारी भगवान के नगर भ्रमण पर निकली थी। उसी दिन भगवान का भांग का श्रृंगार अचानक से बिखर गया। हो सकता है कि भीतर की भांग सुख गई हो जिसके चलते यह घटना घटी। 
 
5. श्रृंगार का अचानक बिखरना कोई पहली बार नहीं हुआ है। कभी-कभी गर्भ गृह का टेम्परेचर और बाहर मौसम के अनुसार टेम्प्रेचर में बदलाव के कारण ऐसी स्तिथि बनती है कि भगवान का श्रृंगार टिक नहीं पाता। नमी और उमस के कारण ऐसी स्थिति बनती है तो तुरंत मंदिर के पुजारी पुरोहित भगवान का श्रृंगार ठीक कर देते हैं। चूंकि आजकल सोशल मीडिया का दौर है इसलिए लोग तरह तरह की अटकलें लगाते हैं। 
 
क्या अटकलें लगाई जा रही है?
मीडिया की खबरों के अनुसार ज्योतिषाचार्य पंडित अमर डब्बेवाला का कहना है कि देवता उसी विग्रह को स्वीकार करते हैं जिसे वे पसंद करते हैं। देवता श्रृंगार करने वाले के मन के भाव को भी समझते हैं। मन का भाव कुछ और है या श्रृंगार में किसी प्रकार की त्रुटि है तो देवता उसे स्वीकार नहीं करते। ये एक प्रकार से देवता की ओर से संकेत भी कह सकते हैं, क्योंकि आने वाले 4 महीनों में अप्राकृतिक घटनाओं के होने की संभावना है। साथ ही दक्षिण और पश्चिम दिशा में बाढ़ के हालात बनने के आसार भी है।"
 
क्या सच में होने वाली है कोई बड़ी अनहोनी:
अधिकतर विद्वान मानते हैं कि चार धामों से मिलने वाले संकेत ही भविष्‍य की घटनाओं की ओर इशारा करते हैं। जैसे कि जगन्नाथ पुरी में शिखर के ध्वज का एक पक्षी द्वारा ले उड़ने के बाद पहलगाम हमला हुआ। फिर मंदिर के पुजारी की हत्या और अच्युतानंद की गादी के पास आग लगने के बाद एयर इंडिया के विमान का दुर्घटना ग्रस्त होना। इसी प्रकार द्वारिका, बद्रीनाथ, केदारनाथ और रामेश्वरम के धामों से भी भविष्‍य के संकेत मिलने की बात कही गई है।
 
12 ज्योतिर्लिंगों में से महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग को धरती पर एकमात्र जागृत ज्योतिर्लिंग माना गया है। पुराणों में उल्लेख है कि आकाश में तारकलिंग, धरती पर महाकालेश्वर शिवलिंग और पाताल में हाटकेश्वरलिंग ही साक्षात शिव है। इसलिए यहां होने वाले घटना से कुछ तो संकेत मिलता ही है। हालांकि कुछ दिन पूर्व ही काशी विश्‍वनाथ मंदिर के शिखर पर सफेद उल्लू के बैठने को शुभ संकेत माना गया है और अब महाकाल के श्रृंगार को गिरने को अशुभ माना जा रहा है तो ऐसे में यह सोचने में आता है कि क्या देश में अच्‍छे के साथ ही कुछ बुरा भी होने वाला है?
 
वैसे भी यह वर्ष 2025 भारत के लिए अच्छा नहीं रहा है। भारत ने प्राकृतिक आपदा, घटना दुर्घटना, आतंकवादी हमला, युद्ध, घुसपैठ, राजनीतिक द्वेष से लेकर सबकुछ झेला है और झेल भी रहा है। ज्योतिष गणणा के अनुसार वैसे भी यह वर्ष अच्‍छा नहीं है और आने वाला वर्ष भी ऐसा ही रहेगा।
 
उल्लेखनी यह कि कुछ दिन पहले तेज हवा के कारण महाकालेश्वर मंदिर के शिखर पर लगा सोने का ध्वज अचानक गिर गया था। इतना ही नहीं उसके कुछ ही दिनों बाद महाकाल महालोक में एक बार फिर तेज आंधी से क्षति हुई है। जिसमें महालोक की सबसे बड़ी प्रतिमा त्रिपुरासुर संहार के रथ का छत्र तेज हवा में गिर गया।