नवदुर्गा : ऐश्वर्य प्राप्ति और बाधा मुक्ति के प्रबल मंत्र
नवरात्रि में शक्ति-पूजन का महत्व
विश्व की सभी सभ्य या असभ्य जातियों में आदिकाल से शक्तिपूजन होता आ रहा है। स्थान व काल भेद से इनका प्रकार भिन्न-भिन्न रहा है। इनमें तंत्र साधना से शक्तिपूजन का प्रयोग होता आ रहा है। सभी तरह की साधना पद्धतियां तंत्र में समाहित हो जाती हैं।शिव भी शक्ति के बिना शव रूप हैं, यह सर्वमान्य है। शक्ति का अंतिम रूप ब्रह्म है। देवी अथर्वशीर्ष में देवी ने स्वयं कहा है- 'अहं ब्रह्मस्वरूपिणी'। यह इस बात को सिद्ध करता है।वेदों में दो बातों पर जोर दिया गया है। पहला है- आगम तथा दूसरा है निगम। आगम यानी सकाम साधना तथा निगम यानी मोक्ष के लिए।
नवरात्रि मंत्र सिद्धि परालौकिक शक्ति प्राप्त करने तथा देवी मां की कृपा प्राप्त करने का सर्वश्रेष्ठ समय माना जाता रहा है। इस समय साधना कर मनुष्य अपने आपको तेजोमय, ऊर्जामय, भौतिक, दैवीय शक्ति का प्राप्त कर जीवन उज्ज्वल तथा निष्कंटक बना सकता है।श्री दुर्गा सप्तशती का पारायण मां की कृपा प्राप्त करने का सुगम उपाय माना जाता है। इसी के साथ किसी मंत्र का सम्पुट लगाकर मन की इच्छा पूर्ण की जा सकती है।* समस्त बाधाओं को दूर करने के लिए तथा ऐश्वर्य प्राप्त करने के लिए निम्न मंत्र की एक माला का जाप रोज करें या नवरात्रि में 11 या 21 माला नित्य कर अंत में हवन करें।