वैसे तो कहा जाता है कि दोस्त होते ही मदद करने के लिए, लेकिन उस मदद को सही पहचान देना आपका काम है। कठिन समय में की गई उसकी छोटी-सी मदद को भी ना भूलें
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लिए अपनी दिनचर्या में से जबरदस्ती समय निकाल कर आई हैं। मिलने पर उसे लगना चाहिए कि आपके जीवन में उसकी खास जगह है।
उसे दोस्ती का अहसास दें : जितना ज्यादा समय आप सहेली के साथ गुजारती हैं, उतना ज्यादा आप उसके नजदीक आती हैं। एक समय आता है, जब आपकी खुशियाँ और परेशानी दोनों चीजें साझा हो जाती हैं। यदि आपके मन में यह विश्वास है, तो उपहार के जरिए उसे यह अहसास कराएँ। जरूरी नहीं कि ये उपहार बहुत महँगे हों लेकिन जो भी दें उनमें आत्मीयता की गंध जरूर होनी चाहिए। जब भी आप उसे कोई मनपसंद चीज देंगी तो दोस्ती का यह अहसास करीबी और बढ़ा देगा।उसकी मदद याद रखें : वैसे तो कहा जाता है कि दोस्त होते ही मदद करने के लिए, लेकिन उस मदद को सही पहचान देना आपका काम है। कठिन समय में की गई उसकी छोटी-सी मदद को भी ना भूलें। स्वस्थ दोस्ती तब तक ही रह सकती है, जब आप भी उसे उतना ही सहयोग करें। आप भी उसके अच्छे और बुरे समय में सहयोग देने की उतनी ही कोशिश करें।दोस्ती का हिसाब न रखें : मैंने तुम्हारे लिए ये किया जैसे वाक्य दोस्ती को खत्म कर देते हैं। किसने किसके लिए क्या किया इसका हिसाब-किताब ना रखें। हो सकता है आप सहेली की ज्यादा मदद करती हों, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि आप अपनी मदद गिनवाती रहें। इस बात को बिलकुल भूल जाएँ कि किसने किसको क्या दिया और किसने क्या पाया।झगड़े खुद तक सीमित रखें : यदि किसी बात पर मनमुटाव हो जाए, तो दूसरों में इसे प्रचारित करने के बजाय दोस्ती की गरिमा बनाए रखें। दोस्ती मजबूत रखने के लिए जरूरी है आप अपनी सीमाएँ भी निर्धारित करें।