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Written By WD

जरूरी है एक सहेली

सहेलियाँ सहयोगी साझीदार
- आकांक्षा पार

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पिता से आप टीचर के पक्षपात करने के बारे में बात कर सकती हैं, चोर नजरों से देखनेवाले अपने क्लासमेट की नहीं। भाई को आप अपने मनपसंद करियर के बारे में बता सकती हैं, लेकिन पड़ोसन से झगड़े की बात नहीं। तो फिर ऐसा कौन है, जो ये बाते सुनेगा? ऐसा कौन है, जिसके लिए बातें बताने की कोई सीमाएँ नहीं रहेंगी, वो होती हैं सहेलियाँ। सहेली सिर्फ बातें ही नहीं सुनती, बल्कि आपकी सबसे बड़ी सहयोगी भी होती है। विशेषज्ञ भी ऐसा ही कहते हैं।

दोस्ती की शक्ति को समझने के लिए करीब-करीब दशक पहले एक अध्ययन किया गया था। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के दल ने पाया कि जो महिलाएँ सहेलियों के ज्यादा नजदीक रहती हैं, उन्हें अवसाद नहीं होता। कारण सीधा-सा है, वे दिल के गुबार को निकाल पाती हैं। करीब 9 साल तक किए गए अध्यनयन में पाया गया कि सामाजिक रूप से अलग-थलग रहनेवाले लोगों का साथ जिंदगी भी जल्दी छोड़ देती है। विशेषज्ञ आश्चर्यचकित थे जब उन्होंने पाया कि दोस्ती का रिश्ता महिलाओं के स्वाथ्य्य पर बहुत अनुकूल असर डालता है।

मिशिगन विश्वविद्यालय के समाजशास्त्री जेम्स एस हाउस का कहना है, ''सहेलियाँ सिर्फ बतों की ही साझीदार नहीं होती है, बल्कि उनके साथ रहने से आप सामाजिक बंधनों को निभाना भी सीखते हैं। वे आपको बताती हैं कि रिश्तों की जीवन में क्या अहमियत होती है।'' एक सच्ची हमदर्द आपको आपके दर्द से कितनी निजात दिलाती है यह वही जाना पाता है, जो इनके साथ रहता है। ड्यूक विश्वविद्यालय की टीम ने एक अध्ययन किया और पाया कि दिल का ऑपरेशन करानेवाले 1 हजार 400 लोगों में से वे लोग जल्दी स्वस्थ हुए, जो रोज अपने किसी अभिन्न मित्र से बतियाते थे। जिन लोगों को दोस्तों का सहयोग प्राप्त था उनके हृदय की धड़कनें धीमी थीं और रक्तचाप भी सामान्य था। उन लोगों के लिए दोस्त की उपस्थिति बिलकुल उसी तरह थी, जैसे हृदय के लिए सेफ्टी वाल्व।

दोस्त कैसे कर पाते हैं ऐसा

वैज्ञानिकों के पास इस बारे में कोई ठोस कारण नहीं हैं। लेकिन बस वे इतना कह पाते हैं कि जब आप नाराज होते हैं, तनाव में होते हैं या अकेलापन महसूस करते हैं, तब मस्तिष्क एक रसायन स्त्रावित करता है, जिससे प्रतिरोधक क्षमता पर दबाव बनता है।

इसी तरह जब हम खुश होते हैं, आशान्वित होते हैं या किसी के प्रति पे्रम दर्शा रहे होते हैं तब प्रतिरोधी तंत्र सुचारु रूप से काम करता है। जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय के तांत्रिका विज्ञानी कैनडेस भी कहते हैं, 'यह सोचना गलत है कि हम अपनी भावनाओं का शरीर की बीमारियों से लड़ने की क्षमता से अलग कर सकते हैं। सभी को यह जानना चाहिए कि हमारी भावनाएँ हमारे प्रतिरोधी तंत्र को चलाती हैं। जब हम एक ही दिनचर्या से परेशान हो जाते हैं, रोज एक ही तरह का काम कर थक जाते हैं, तब सहेलियां इन सबके बीच 'इंटरवल' का अहसास कराती हैं। वे वास्तविकता के करीब ले जाती हैं और यह भावना तनाव और परेशानियों के जख्मों पर मरहम की तरह काम करती है।

कोलकाता में रहनेवाली जेनी अपने दोस्त के बारे में बताती है, 'मेरी सहेली हमेशा समझदारी भरी बातें करती है। जब मैं अपने जीवन के सबसे मुश्किल दौर से गुजर रही थी, तब वो मेरे शहर से दूर थी। लेकिन मेरे लिए वो लंबी दूरी तय कर आई, उसने मेरी परेशानी सुनी। अब भी कभी जरूरत होने पर वो घंटों फोन पर मेरी बातें सुनती है। मुझे लगता है, जब आप अपने दोस्त के साथ होते हैं, तो ईश्वर के भी साथ होते हैं।'इसके जवाब में जेनी की दोस्त शिप्पी कहती है, जब जेनी अपनी समस्याओं से जूझ रही थी, तब मैं तब जानती थी कि उस लगता था कि मेरे पास उसकी सारी समस्याओं का हल है। मैं उसकी उम्मीदों पर खरा उतरने की कोशिश करती थी, ताकि उसका यकीन ना टूटे। यह आदर्श दोस्ती की शानदार मिसाल बन सकता है, लेकिन इस बारे में मेरीलैंड मेडिकल स्कूल के भूतपूर्व प्रोफेसर जेम्स जे लिंच का शब्दों पर भी गौर कर लें। वे कहते हैं, जब-जब लोग दिल से जुड़ कर बात करते हैं, तो बोलनेवाले से ज्यादा सुननेवाला फायदे में रहता है। वो इसलिए कि श्रोता का रक्तदाब यकीनन घट जाता है।

बनाएँ अच्छी सहेल

सहेली को अहमियत दें : जब भी सहेली से मिलें उसके सामने व्यस्तता का रोना ना रोएँ। उसे यह नहीं लगना चाहिए कि आप उसके
वैसे तो कहा जाता है कि दोस्त होते ही मदद करने के लिए, लेकिन उस मदद को सही पहचान देना आपका काम है। कठिन समय में की गई उसकी छोटी-सी मदद को भी ना भूलें
लिए अपनी दिनचर्या में से जबरदस्ती समय निकाल कर आई हैं। मिलने पर उसे लगना चाहिए कि आपके जीवन में उसकी खास जगह है।


उसे दोस्ती का अहसास दें : जितना ज्यादा समय आप सहेली के साथ गुजारती हैं, उतना ज्यादा आप उसके नजदीक आती हैं। एक समय आता है, जब आपकी खुशियाँ और परेशानी दोनों चीजें साझा हो जाती हैं। यदि आपके मन में यह विश्वास है, तो उपहार के जरिए उसे यह अहसास कराएँ। जरूरी नहीं कि ये उपहार बहुत महँगे हों लेकिन जो भी दें उनमें आत्मीयता की गंध जरूर होनी चाहिए। जब भी आप उसे कोई मनपसंद चीज देंगी तो दोस्ती का यह अहसास करीबी और बढ़ा देगा।

उसकी मदद याद रखें : वैसे तो कहा जाता है कि दोस्त होते ही मदद करने के लिए, लेकिन उस मदद को सही पहचान देना आपका काम है। कठिन समय में की गई उसकी छोटी-सी मदद को भी ना भूलें। स्वस्थ दोस्ती तब तक ही रह सकती है, जब आप भी उसे उतना ही सहयोग करें। आप भी उसके अच्छे और बुरे समय में सहयोग देने की उतनी ही कोशिश करें।

दोस्ती का हिसाब न रखें : मैंने तुम्हारे लिए ये किया जैसे वाक्य दोस्ती को खत्म कर देते हैं। किसने किसके लिए क्या किया इसका हिसाब-किताब ना रखें। हो सकता है आप सहेली की ज्यादा मदद करती हों, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि आप अपनी मदद गिनवाती रहें। इस बात को बिलकुल भूल जाएँ कि किसने किसको क्या दिया और किसने क्या पाया।

झगड़े खुद तक सीमित रखें : यदि किसी बात पर मनमुटाव हो जाए, तो दूसरों में इसे प्रचारित करने के बजाय दोस्ती की गरिमा बनाए रखें। दोस्ती मजबूत रखने के लिए जरूरी है आप अपनी सीमाएँ भी निर्धारित करें।