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Last Updated : मंगलवार, 1 मई 2018 (17:36 IST)

बेरोजगार पकौड़ेवाला, दूर दूर से आते हैं चटखारे लेने...

बेरोजगार पकौड़ेवाला, दूर दूर से आते हैं चटखारे लेने... - Unemployed youth, unemployed, Pakodewala
हरदोई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के रोजगार के मुद्दे पर पकौड़ा बेचने को लेकर दिए गए बयान पर भले ही कुछ समय तक राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बना हो मगर उत्तर प्रदेश के हरदोई में डिग्रीधारी नौजवान कमजोर आर्थिक हालातों के चलते पिछले सात सालों से चाट ठेला लगा रहा है। डिग्रीधारक इस नवयुवक ने अपने ठेले का नाम 'एमए, बीएड टीईटी पास बेरोजगार चाट कार्नर' रखा है।


विज्ञान से स्नातक, समाज शास्त्र से परास्नातक के अलावा भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी से बीएड और शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) पास करने वाला निमिष अपनी मां का इकलौता बेटा है। शिक्षा पूरी कर सालों नौकरी के लिए भटकने के बाद निमिष ने जिले के पिहानी कस्बे में तीन बंदर पार्क के पास सड़क पर चाट का ठेला लगाया जिस पर इंग्लिश में 'एमए, बीएड, टीईटी 2011 बेरोजगार चाट कार्नर' लिखा है।

कस्बे के निजामपुर मोहल्ले के रहने वाले निमिष ने बेरोजगारी से संघर्ष करने के बाद रोजगार की नियत से यह चाट का ठेला लगाया और पकौड़े एवं आलू की टिक्की बेचकर अपना कारोबार शुरु किया। निमिष ने बताया कि पढ़-लिख कर ऐशो-आराम की जिंदगी जीने का सपना संजोया था लेकिन कई सालों तक सरकारी नौकरियों के फार्म भरते-भरते हजारों रुपए बर्बाद हो गए। कोई रोजगार नहीं मिलने पर चाट का ठेला लगाकर आलू की टिक्की बनाकर बेचना शुरू कर दिया।

अपनी विशिष्ट पहचान लिए बेरोजगार कार्नर पर जिसकी भी नजर पड़ती है तो वह एक बार इसकी चाट खाकर चटखारे जरूर लेता है। युवक की मां किरण देवी आंगनवाड़ी विभाग में कार्यकर्ता है और उसने निमिष को पिता और मां दोनों का प्यार दिया है। उन्होंने अपने बेटे को संघर्ष करके पढ़ाई कराई जिससे वह समाज में सर ऊंचा करके चल सके। निमिष ने भी अपनी मां के सपने को पूरा करने के लिए पढ़ाई करके तमाम डिग्रियां हासिल कीं।

पढ़ाई में अव्वल सरकारी नौकरी पाने के लिए भर्तियों के फ़ार्म भरकर काफी रुपए बहाने के बाद सात सालों में कोई रोजगार नहीं मिला। मजबूरी में उसने यह रोजगार शुरू कर दिया। इतनी डिग्री लेने के बाद भी निमिष को कोई सरकारी रोजगार नहीं मिला। जाहिर सी बात है कि सरकार और सिस्टम के प्रति उसका विरोध भी जायज है। उनका यह दर्द उसकी बातों से झलकता भी है।

निमिष के मामा मिठाई का कारोबार करते हैं। मिठाई के कारोबार के लिए बड़ी पूंजी लगाना निमिष के बस की बात नहीं थी। इसलिए उसने कम पूंजी में चाट कार्नर लगाकर बेरोजगार रहने से बेहतर रोजगार करना उचित समझा। किरन देवी का कहना है कि हर मां-बाप का सपना होता है कि उनका बेटा पढ़े-लिखे अच्छी नौकरी करे या फिर बड़ा रोजगार करे। ऐसा ही कुछ निमिष की मां ने भी अपने इकलौते बेटे को काफी संघर्षों में पढ़ाकर सोचा था।

अपने ननिहाल में ही रहने वाले निमिष की मां का सपना था कि उसका बेटा अच्छे से पढ़ लिखकर अच्छी नौकरी करेगा। निमिष ने पढ़ाई भी की और डिग्रियां भी हासिल कीं। लेकिन इतनी डिग्रियों के बाद भी कोई सरकारी नौकरी हासिल नहीं कर सका। मजबूरी में बेटे को चाट का ठेला लगाने की मन में कसक लिए किरन देवी का बोलते-बोलते आंखें एवं गला भर आया।

इतनी डिग्री मिलने के बाद भले ही निमिष को कोई सरकारी नौकरी नहीं मिली हालांकि यह बेरोजगार चाट कार्नर पूरे इलाके में सुर्ख़ियों में आ चुका है। तमाम युवा निमिष की इस चाट कॉर्नर पर पहुंचकर चाट तो खा ही रहे हैं। निमिष और उसके चाट के ठेले के साथ सेल्फी लेकर अपनी फेसबुक वॉल पर फोटो भी पोस्ट कर रहे हैं। ऐसे में सुबह से अकेले चाट तैयार कर निमिष जब दोपहर तीन बजे अपना चाट का ठेला लेकर बाजार में पहुंचते हैं। कुछ ही घंटों में कार्नर पर लोगों की भीड़ लग जाती है।

गौरतलब है कि पिछले दिनों एक इंटरव्यू में प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का राज्यसभा में रोजगार के मुद्दे पर पकौड़ा बेचने को लेकर दिए गए बयान के बाद जमकर सियासी तीर सत्तापक्ष एवं विपक्ष ने एक-दूसरे पर चलाए। इस बीच 'नौकरियों पर चला हथौड़ा, बेचो चाय तलो पकौड़ा' जैसे कुछ नारे भी सोशल मीडिया पर छाए रहे। (वार्ता)