श्रीनगर। कश्मीर में चार सालों से आतंक और अय्याशी का पर्याय बन चुके लश्करे तौयबा के कमांडर अबु दुजाना उर्फ हाफिज को सुरक्षाबलों ने ढेर कर दिया है। उसकी मौत के साथ ही आतंक के एक अध्याय के खत्म होने का दावा तो किया जा रहा हे पर आतंकवाद के खात्मे का रास्ता अभी बहुत लंबा है। अबु दुजाना की मौत के बाद कश्मीर एक बार फिर जल उठा है। मारे गए आतंकियों में दुजाना के अलावा आरिफ नबी डार भी शामिल है।
हिज्बुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी की मौत के ठीक एक साल बाद कश्मीर उबाल पर है। यह कब तक ठंडा होगा कोई नहीं जानता। इतना जरूर था कि अधिकारियों ने समाचार भिजवाए जाते समय तक कश्मीर में इंटरनेट, फोन सेवाएं, रेल सेवाएं बंद करके कई कस्बों में अघोषित कफर्यू लागू कर दिया था।
सुरक्षाबलों मोस्ट वॉन्टेड आतंकियों की लिस्ट में शामिल लश्कर कमांडर अबु दुजाना कई बार सुरक्षाबलों की गोली का शिकार होते-होते बचा था। वह 7 बार सुरक्षाबलों को चकमा देकर भागने में कामयाब रहा था, लेकिन मंगलवार को सेना और अन्य सुरक्षाबलों के जवानों ने उसे इस तरह घेरा कि उसके लिए भागना नामुमकिन हो गया।
जानकारी के मुताबिक, वह अपनी पत्नी से मिलने के लिए गांव आया था। इसी दौरान सुरक्षाबलों ने खुफिया जानकारी के आधार पर उसे घेर लिया। पुलिस ने बताया है कि दुजाना खूंखार आतंकी होने साथ-साथ बहुत बड़ा अय्याश भी था और इलाके की लड़कियों के लिए भी बड़ा खतरा बन चुका था।
सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक पिछली बार एनकाउंटर के दौरान उसका आईफोन मौके पर छूट गया था। इस आईफोन के सहारे भी सुरक्षा बलों को उसकी मूवमेंट का पता चला। सुरक्षा बल इसके जरिए लगातर दुजाना की हर गतिविधि पर नजर बनाए हुए थे। मंगलवार की सुबह उसे पुलवामा जिले के हकड़ीपोरा गांव में घेर लिया गया।
बताया जा रहा है कि वह अपनी पत्नी से मिलने के लिए गांव में आया था। सुरक्षाबलों को इस बात की जानकारी पहले से थी कि दुजाना अपनी पत्नी से मिलने के लिए वक्त-वक्त पर यहां आता रहा है। इसके पहले भी दो बार उसे यहां देखा गया था। ऐसे में उसके यहां आने की टाइमिंग को बहुत बारीकी से नोटिस किया गया। इस बार जैसे ही उसके आने की खुफिया सूचना मिली, पुलिस और सुरक्षा बल के जवान सादे कपड़ों में वहां पहुंच गए। दो घंटे बाद मौके पर अतिरिक्त फोर्स पहुंची।
इसके बाद जम्मू कश्मीर पुलिस और उसके स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप की अगुवाई में पूरे इलाके को घेर पर सर्च ऑपरेशन शुरू किया गया। पुलिस को सेना की 182 बटालियन, 183 बटालियन, 55 राष्ट्रीय राइफल्स और सीआरपीएफ का सहयोग मिला। खुफिया जानकारी की पुष्टि होने के बाद सुबह 4.30 बजे ऑपरेशन शुरू किया गया था।
सर्च ऑपरेशन में पता चला कि दोनों आतंकी एक घर के अंदर छिपे हुए हैं। उन्हें बाहर निकालने की पहले हर संभव कोशिश की गई, लेकिन जब आतंकी बाहर नहीं आए तो इमारत को उड़ाने के सिवा कोई रास्ता नहीं बचा। दोनों के शव मिलने के बाद जम्मू कश्मीर पुलिस ने भी दुजाना के मारे जाने की पुष्टि कर दी।
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जम्मू कश्मीर पुलिस के आईजी मुनीर अहमद खान ने बताया कि सुरक्षाबल आतंकवाद निरोधी अभियान में लगे हुए थे। तभी 100 से अधिक प्रदर्शनकारियों ने उन पर पत्थर बरसाने शुरू कर दिए। सुरक्षाबलों को कल रात अबु दुजाना और उसके स्थानीय सहयोगी आरिफ लिलहारी के पुलवामा स्थित हकरीपुरा इलाके में छिपे होने की जानकारी मिली थी।
इसके बाद हम सभी हाकरीपोरा गांव में पहुंच गए और घेरेबंदी कर ली। सुबह चार बजे तक एरिया को पूरी तरह से घेर लिया गया। छिपे हुए आतंकियों और सुरक्षा बलों के बीच आज सुबह मुठभेड़ हो गई। अधिकारी ने बताया कि एक समय हमें ऐसा लगा कि जिस व्यक्ति की हम घेरेबंदी कर रहे हैं वह दुजाना है भी या नहीं। लेकिन फिर भी हम लोग सतर्क रहे और रणनीति बनाते रहे।
अधिकारी ने कहा कि सुबह 8 बजे तक वहां किसी तरह की पत्थरबाजी नहीं हुई। इससे हमारा शक और गहराने लगा। हमें ऐसा लग रहा था कि दुजाना जैसे शख्स को बचाने के लिए पूरा गांव सामने आ जाएगा। क्षेत्रिय लोगों के मन में उसके प्रति गहरी सहानुभूति है।
इसके बाद हमने दोबारा अपने टेक्निकल इंटेलिजेंस को चेक किया। इसके साथ ही हमने अपने दूसरे सूत्रों से सुनिश्चित किया। अधिकारी ने बताया कि दुजाना के वहां होने की पुष्टि के बाद हम आक्रामक हुए लेकिन दुजाना ने सरेंडर करने से इनकार कर दिया। इसके बाद हमने घर में आग लगा दी। सूत्रों के अनुसार, दुजाना और उसके साथी मलबे में दब के मारे गए। दोनों आतंकियों के शव को बरामद कर लिया गया है, जो कि आंशिक रूप से जले हुए हैं।
अबु दुजाना वर्ष 2013 के दौरान कश्मीर में सक्रिय हुआ था। गिलगित-बाल्टीस्तान का रहने वाला दुजाना उर्फ हाफिज ने श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग पर वर्ष 2015 में बीएसएफ के काफिले पर हुए हमले की साजिश में भी अहम भूमिका निभाई थी और उसे अबु कासिम के मारे जाने के बाद लश्कर ने दक्षिण कश्मीर का डिविजनल कमांडर बनाया था।
मुठभेड़ के दौरान आतंकी ठिकाना बना मकान भी तबाह हो गया और अंदर छिपे दोनों आतंकी मारे गए। दोनों आतंकियों के शव बुरी तरह जली हुई हालत में मिले हैं। दुजाना और ललहारी का मारा जाना, सुरक्षाबलों के लिए बहुत बड़ी कामयाबी है। पिछले कुछ महीने में सुरक्षाबलों ने उसे मारने के लिए कई ऑपरेशन चलाए। रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले महीने 19 तारीख को भी सुरक्षाबलों ने उसे घेरा था, लेकिन वह चकमा देकर फरार हो गया।
वहीं, मई महीने में हकरीपोरा गांव में भी सुरक्षाबलों को चकमा देकर वह फरार हो गया था। उसकी मौत के बाद से कश्मीर में प्रदर्शन का नया दौर शुरू हो गया है। लड़कियों ने भी कई जगह हाथों में पत्थर लेकर प्रदर्शन किया। दक्षिण कश्मीर के कुलगाम में गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज की छात्राओं ने प्रदर्शन किया।
इस दौरान लड़कियों ने अबु दुजाना के समर्थन में नारेबाजी भी की। छात्राओं ने कक्षाओं का बहिष्कार किया और कालेज गेट पर इकट्ठा हो गईं। इसके बाद हाथों में पत्थर लेकर प्रदर्शन करने लगीं। हाकरीपोरा गांव में जिस जगह एनकाउंटर हुआ उससे कुछ ही दूरी पर सुबह पत्थरबाजों ने सुरक्षाबलों पर हमला भी किया था।
पत्थरबाजों को रोकने के लिए पुलिस को आंसू गैस, पैलेट और गोलियों का इस्तेमाल करना पड़ा। इस घटना में दो लोगों की मौत हो गई। घाटी के कई हिस्सों में प्रदर्शन हो रहा है। इसे देखते हुए कश्मीर के सभी स्कूल और कालेजों को आज बंद कर दिया गया है। सुरक्षा के लिहाज से कश्मीर घाटी में मोबाइल इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है। सुरक्षाबल चौकन्ने हो गए हैं और हर गतिविधि पर नजर बनाए हुए हैं।
अबु दजाना दक्षिण कश्मीर में सुरक्षा बलों और राजनीतिक कार्यकर्ताओं पर किए जा चुके कई आतंकी हमलों के मामलों में वांछित था। उस पर 15 लाख रुपए का इनाम था।
कश्मीर के पुलवामा जिले में सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ में अबु दुजाना सहित दो आतंकी मारे गए। एनकाउंटर के बाद श्रीनगर के आईजी ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि दुजाना घाटी में लड़कियों के लिए खतरनाक था। हाल ही में अमरनाथ यात्रियों के बस पर हमले के पीछे दुजाना का ही दिमाग था। मारे गए आतंकियों में दुजाना के अलावा आरिफ नबी डार भी शामिल है।