नैनीताल में लगातार हो रही मूसलाधार बारिश के चलते नदी-नाले पूरी तरीके से उफान पर हैं। नैनीझील और भीमताल झील के गेटों को खोलने से हल्द्वानी गौला नदी उफान पर आ गई। काठगोदाम स्थित गौला बैराज का जलस्तर 1993 के बाद आज 90000 क्यूसेक पहुंच गया है, जो कि खतरे के निशान से बहुत अधिक है।
ऐसे में प्रशासन, पुलिस ने गौला नदी और उसके आसपास किनारे की तरह रहने वाले लोगों को अब पूरी तरीके से अलर्ट कर दिया है। वह किसी भी कीमत पर नदी की तरफ न जाए, साल 1993 के बाद पहली बार ऐसा हुआ है, जब गौला बैराज का जलस्तर 90000 क्यूसेक के पार पहुंचा है। ऐसे में प्रशासन और पुलिस के हाथ पांव फूल चुके हैं।
ऐसे में प्रशासन, पुलिस ने गौला नदी और उसके आसपास किनारे की तरह रहने वाले लोगों को अब पूरी तरीके से अलर्ट कर दिया है। वह किसी भी कीमत पर नदी की तरफ न जाए, साल 1993 के बाद पहली बार ऐसा हुआ है, जब गौला बैराज का जलस्तर 90000 क्यूसेक के पार पहुंचा है। ऐसे में प्रशासन और पुलिस के हाथ पांव फूल चुके हैं।
अगर आज शाम तक बारिश ऐसे ही रही तो गौला बैराज समेत अन्य स्थानों को भी नदी द्वारा नुकसान होने की संभावना जताई जा रही है। फिलहाल प्रशासन पुलिस अपनी निगाह बनाए हुए हैं और पूरी तरह से अलर्ट के मोड पर है, मौसम विभाग ने उत्तराखंड को पूरी तरह से रेड अलर्ट घोषित किया हुआ है, जिसके बाद से लगातार मूसलाधार बारिश हो रही है और हर जगह जलभराव की स्थिति बन गई है।
उत्तराखंड को जल प्रलय से दो-चार होना पड़ रहा है। नैनीताल जिले में गौला नदी के पुल के टूटने से एक बार फिर राज्य में फल फूल रहे अविध खनन ले मामले को हवा मिली है। कहा जा रहा है कि पुल के आसपास भारी मात्रा में खनन के चलते यह पुल टूटा है। इससे पहले भी उत्तराखंड में देहरादून जिले के भानियावाला, लाछीवाला और बड़ासी पुल इन्हीं संदिग्ध कारण से टूट चुके हैं।
इसी मानसून में पिछले दिनों रानी पोखरी के पुल के टूटने को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इस पुल के टूटने के कारणों पर सवाल खड़े करते हुए सरकार को घेरा भी था।


स्थानीय लोगों की मदद से सभी को सुरक्षित बाहर निकालने के बाद टैक्टर के माध्यम से गाड़ी को भी बाहर निकाल लिया गया।