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Written By एन. पांडेय
Last Updated : रविवार, 13 मार्च 2022 (21:49 IST)

सेना की ‘नर्सरी ऑफ लीडरशिप कहलाने वाले राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज ने पूरा किया 100 साल का एतिहासिक सफर

सेना की ‘नर्सरी ऑफ लीडरशिप कहलाने वाले राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज ने पूरा किया 100 साल का एतिहासिक सफर - glorious 100 years of rashtriya indian military college 6 army chiefs have been given to the country
देहरादून। राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज (आरआईएमसी) देहरादून के शताब्दी वर्ष समारोह का शुभारंभ हो गया है। भारतीय उपमहाद्वीप में सैन्य प्रशिक्षण संस्थानों की मातृ संस्था राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कॉलेज (आरआईएमसी) ने न केवल भारत अपितु पाकिस्तान और बर्मा को भी सैन्य नेतृत्व दिया है। देखा जाए तो यह कॉलेज भारत की सुरक्षा की गारंटी भी है।

यह संस्था अब तक भारतीय सेना को 6 जांबाज सेना प्रमुख और दर्जनों आर्मी कमांडर दे चुकी है। आरआईएमएसी के शताब्दी वर्ष समारोह का शुभारंभ राज्यपाल गुरमीतसिंह ने किया।
 
इस अवसर पर कैडेट्स को संबोधित करते हुए राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीतसिंह (सेनि) ने कहा कि राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज पिछले 100 वर्षों से देश की सेवा में निरंतर उल्लेखनीय योगदान दे रहा है। आरआईएमसी के छात्रों की राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में उल्लेखनीय भूमिका रही है।

द्वितीय विश्वयुद्ध से लेकर बालाकोट ऑपरेशन तक में इनकी सैन्य क्षमताओ और नेतृत्व क्षमताओ को भुलाया नहीं जा सकता। आरआईएमसी से जुड़े कैडेट्स, अधिकारियों व टीम के सांझे आत्मविश्वास, क्षमता तथा समर्पण भाव से ही यह संस्थान विभिन्न चुनौतियों से गुजरते हुए भी सर्वोच्च स्थान पर प्रतिष्ठित है तथा निरंतर उत्कृष्टता की ओर अग्रसर है। आरआईएमसी अपने मूल मंत्र ‘बल विवेक’ पर अडिग है।

राज्यपाल ने कहा कि आरआईएमसी  कोविड-19 के चुनौतीपूर्ण समय में  भी निरंतर कार्यरत रहा तथा यहां के कैडेट्स ने समय पर अपने कोर्स तथा ट्रेनिंग पूरी की, यह अत्यंत सराहनीय है। इसका श्रेय संस्थान के कुशल प्रबंधन तथा सक्षम स्टाफ को जाता है। राज्यपाल ने कहा कि आरआईएमसी के मेधावी पूर्व छात्र इस महान संस्थान के सबसे बड़े ब्रांड एंबेसडर तथा प्रेरणास्रोत है।

वे भारतीय सेना के नेतृत्वकर्ता है। आज आरआईएमसी के छात्रों को अटूट निष्ठा, दृढ़ निश्चय तथा महान प्रतिबद्धता का प्रतीक माना जाता है। आज के इस शताब्दी वर्ष समारोह पर संपूर्ण राष्ट्र आप के प्रति आभार व्यक्त करता है। राज्यपाल ने कहा कि शिक्षा एक जीवन पर्यंत चलने वाली प्रक्रिया है, जिसका अंतिम लक्ष्य मानवता की सेवा है। उन्होंने कहा कि तकनीक दिन प्रतिदिन तेजी से निरंतर बदल रही है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ऑटोमेशन तथा डिजिटाइजेशन हमारे आज तथा भविष्य को पुनः परिभाषित करेंगे।

तकनीकी कुशलताओं के साथ अडॉप्टेशन और इनोवेशन की सोच वाले युवा ही भविष्य मे विकास तथा तरक्की का रास्ता बनाएंगे। राज्यपाल ने कहा कि यह प्रसन्नता का विषय है कि आरआईएमसी बालिकाओं को भी इस संस्थान में शामिल करने की एक बड़ी जिम्मेदारी को पूरा करने की तैयारी कर रहा है। आरआईएमसी से गर्ल्स केडेट के जुड़ने से इसकी प्रतिष्ठा और भी अधिक बढ़ेगी।
 
समारोह के दौरान राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने आरआईएमसी की डाक टिकट जारी की। इसके साथ ही उन्होंने आरआईएमसी की कॉफी टेबल बुक तथा कैडेट्स द्वारा लिखी गई पुस्तक बल विवेक का भी विमोचन किया।आरआईएमसी भारतीय उपमहाद्वीप का पहला सैन्य प्रशिक्षण संस्थान है, जिसका उद्घाटन 13 मार्च, 1922 को तत्कालीन प्रिंस ऑफ वेल्स, बाद में किंग एडवर्ड VIII द्वारा किया गया था, जो भारतीय युवाओं को सैन्य सेवा में शिक्षित और प्रशिक्षित करने के लिए अधिकारी संवर्ग के भारतीयकरण कार्यक्रम के हिस्से के रूप में था।

आज, आरआईएमसी प्रतिष्ठित राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और नौसेना अकादमी, एझिमाला के लिए प्रमुख फीडर संस्थान है।  देश को 4 थल सेनाध्यक्ष, 2 वायु सेनाध्यक्ष और पाकिस्तान के लिए एक कमाण्डर-इन-चीफ ऑफ आर्मी एवं दो वायु सेनाध्यक्ष देने के साथ ही उत्कृष्टता के इस संस्थान ने देश को अभी तक, 41 सेना कमांडर और समकक्ष और 163 लेफ्टिनेंट जनरल के रैंक के अधिकारी दिए हैं। इस कालेज के छात्रों ने नागर सेवा में राज्यपाल, राजदूत और उद्योग जगत में भी महती भूमिका अदा की है।

इस कालेज की स्थापना का लक्ष्य ही भारत स्थित ब्रिटिश सेना के भारतीयकरण के लिये भारत के युवाओं को रॉयल मिलिट्री कॉलेज सैण्डहर्टस् के लिये तैयार करना था। आरआईएमसी, मूलतः कालेज न हो कर सैण्डहर्टस् की तैयारी के लिये एक पब्लिक स्कूल ही था। अंग्रेजों का मानना था कि सेना में अधिकारी बनने के लिये भारत वासियों का इंग्लैण्ड में शिक्षा ग्रहण करना नामुमकिन है इसलिये भारतीय युवाओं को सेना अधिकारी बनने के लिये अपेक्षित शिक्षा भारत में ही दी जा सकती है। इसलिये भारतीय नेताओं की मांग पर भारत में रॉयल मिलिट्री कॉलेज की स्थापना की गई।
 
कैसे होता है चयन : इस कॉलेज के लिये अखिल भारतीय स्तर पर प्रवेश परीक्षा होती है। परीक्षा पास होने पर मेडिकली फिट बच्चों को दाखिला दिया जाता है। इस कॉलेज में सभी राज्यों के लिये जनसंख्या के आधार पर कोटा तय किया गया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार अब पहली बार लड़कियों के लिये भी आरआइएमसी में अध्ययन की व्यवस्था हो गयी है।

इस साल जुलाइ से शुरू होने वाले कालेज के शिक्षा सत्र के लिये लड़कियों से भी आवेदन आमंत्रित किये गये हैं।
यह देश का ऐसा एकमात्र कालेज है जहां साल में दो बार बोर्ड परीक्षाएं आयोजित होती हैं। एक परीक्षा मई तो दूसरी परीक्षा नवंबर में होती है। चूंकि नेशनल डिफेंस एकेडमी के लिए वर्ष में दो बार एंट्रेंस होते हैं और इसमें बारहवीं पास बच्चा ही शामिल हो सकता हैं इसलिए इस कॉलेज में भी साल में दो बार परीक्षाओं की व्यवस्था की गयी है। स्कूल का बोर्ड सीबीएसई है, लेकिन परीक्षा का शेड्यूल पूरा अलग है।

यहां मई व नवंबर माह में बोर्ड परीक्षा होती हैं। जिसे सेना मुख्यालय आयोजित करता है। परीक्षा में पर्यवेक्षकों की भूमिका सेना के अधिकारी निभाते हैं। इन परीक्षाओं का परिणाम एक माह के भीतर घोषित किया जाता है। स्कूल की पढ़ाई का जिम्मा सिविलियन शिक्षकों का होता है, जबकि प्रबंधन सेना के हाथ में हैं। यहां कर्नल स्तर का अधिकारी स्कूल का प्रिंसिपल होता है।

इस कालेज में हर छह महीने में लगभग 25 कैडेटों को भर्ती किया जाता है। उम्मीदवारों की आयु 11 से 12 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए या 11 (जनवरी) या 01 (जुलाई) को 13 वर्ष की आयु प्राप्त नहीं करनी चाहिए। यहां प्रवेश केवल आठवीं कक्षा में किए जाते हैं। कालेज में प्रवेश करते समय बच्चे को सातवीं कक्षा में पढ़ना चाहिए या किसी मान्यता प्राप्त स्कूल से सातवीं कक्षा उत्तीर्ण होना चाहिए।

आवेदन पत्र संबंधित राज्य सरकारों को जमा किए जाते हैं। उम्मीदवारों का चयन वर्ष में दो बार आयोजित अखिल भारतीय प्रवेश परीक्षा में उनके प्रदर्शन के आधार पर किया जाता है, जिसमें अंग्रेजी (125 अंक), गणित (200 अंक) और सामान्य ज्ञान (75 अंक) में प्रश्न पत्रों की लिखित परीक्षा शामिल होती है, सफल उम्मीदवारों को बुलाया जाता है। वाइवा-वॉयस टेस्ट (50 अंक) के लिए होता है।
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