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Last Updated :बेंगलुरु , बुधवार, 6 सितम्बर 2017 (14:48 IST)

बेबाक और निर्भीक पत्रकार थीं गौरी लंकेश

बेबाक और निर्भीक पत्रकार थीं गौरी लंकेश - Gauri Lankesh
बेंगलुरु में जन्मी गौरी लंकेश ने अपना पत्रकारिता का करियर 1980 में शुरू किया था। उनके पिता पी. लंकेश भी पत्रकार थे। उनके पिता कन्नड के मशहूर कवि और लेखक थे उनके निधन के बाद पत्रिका के दो भाग हो गए थे, जिनमें से एक भाग गौरी चलाती थीं और दूसरा हिस्सा उनके भाई इंद्रजीत चलाते हैं। 
 
उल्लेखनीय है कि मंगलवार को गौरी (55) की हत्या कर दी गई और पुलिस ने अपनी शुरुआती जांच में इसे भाड़े के हत्यारों का काम बताया है। कर्नाटक सरकार ने मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया है। कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया ने बुधवार को कहा कि आईजी लेवल के अधिकारी के नेतृत्व में एसआईटी मामले की जांच करेगी। 
 
कन्नड़ की साप्ताहिक पत्रिका 'लंकेश पत्रिका' नामक पत्रिका को उनके पिता ने ही शुरू किया था। कन्नड़ पत्रकारिता में 'लंकेश पत्रिका' की खास भूमिका रही है। उनके बारे में खास बात यह है कि गौरी दक्षिण पंथियों की कड़ी आलोचक रहीं और उनके खिलाफ बेबाकी से लिखा। इसके जरिए उन्होंने 'सांप्रदायिक सौहार्द' बढ़ाने का भी काम किया। 
 
नवंबर, 2016 में उन्होंने भाजपा नेताओं के खिलाफ एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिस कारण उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया गया। इस मामले में उन्हें छह माह जेल की सजा हुई थी। गौरी लंकेश बेंगलुरु में इकलौती महिला पत्रकार थीं, जो अपनी कलम से दक्षिणपंथी ताकतों से लोहा ले रही थीं। इस दौरान उन्हें जान से मारने की धमकियां भी मिलीं। वे अपने लेखों और भाषणों से हर किसी को सोचने पर मजबूर कर देती थीं। उन्होंने धार्मिक कट्टरता के खिलाफ बेबाकी और बेखौफ लिखा। 
 
हाल ही में उन्होंने लेखिका व पत्रकार राणा अय्यूब की पुस्तक 'गुजरात फाइल्स' का कन्नड़ भाषा में अनुवाद भी किया था। उन्हें सरकार विरोधी, हिंदुत्व विरोधी और दलित समर्थक माना जाता था। वे वामपंथी ही नहीं, नक्सल समर्थक विचारधारा के लिए भी जाना जाता था। उनकी बहन कविता और भाई इंद्रजीत फिल्मों और थिएटर से जुड़े हैं। गौरी ने नक्सलियों के पुनर्वास के लिए भी काम किया था।  
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