इंदौर की पहली महिला डॉक्टर 92 साल की भक्ति यादव को 'पद्मश्री'
इंदौर। मां देवी अहिल्या की नगरी इंदौर की पहली महिला डॉक्टर और स्त्री रोग विशेषज्ञ भक्ति यादव को 'पद्मश्री' सम्मान के लिए चुना गया है। 92 बरस की डॉ. यादव ने कभी भी उम्र को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया और आज भी वे अपना समय मरीजों के बीच ही बिताती हैं। सबसे हैरत की बात तो यह है कि वे बिना कोई फीस लिए मरीजों का इलाज करती हैं।
इंदौर के मि
ल क्षेत्र स्थित क्लर्क कॉलोनी में बच्चा डॉक्टर भक्ति यादव के नाम से परिचित हैं। पूरे देश में जहां आज डॉक्टरी का पेशा मोटी कमाई करने का जरिया बन गया है, वहीं दूसरी तरफ एक ऐसी बुजुर्ग महिला डॉक्टर भी हैं, जो मुफ्त में मरीजों का इलाज ही नहीं करती हैं बल्कि जरूरतमंदों को दवाइयां भी उपलब्ध कराती हैं। उन्हें सबसे ज्यादा सुकून मरीजों की सेवा करने में मिलता है।
सोशल मीडिया में कई बार डॉ. भक्ति यादव की यह गाथा प्रचारित हुई है। बुधवार को जब पद्म पुरस्कारों का ऐलान हुआ, तब उसमें पद्मश्री के लिए डॉ. भक्ति यादव का भी नाम था। हालांकि खुद उन्हें कभी मीडिया की सुर्खियों में आना पसंद नहीं है। यहां तक कि इंदौर में कई बड़े-बड़े आयोजन होते हैं, लेकिन इन आयोजनों में यह बुजुर्ग डॉक्टर कहीं नजर नहीं आतीं...
1 लाख से ज्यादा महिला मरीजों का नि:शुल्क इलाज : डॉ. भक्ति यादव ने अपने 65 साल के करियर में 1 लाख से ज्यादा महिला मरीजों का नि:शुल्क इलाज किया है। लोगों की मानें तो वे सेवा औऱ तपस्या की जीती जागती प्रतिमा हैं।
डॉ. भक्ति यादव मध्यप्रदेश की पहली महिला रोग विशेषज्ञ (महिला डॉक्टर) हैं। अपनी उम्र के 92 बसंत गुजार चुकीं डॉ भक्ति जी पिछले 64 साल में लाखों मरीज महिलाओं को नि:शुल्क इलाज देती आ रहीं हैं और अनवरत जीवनपर्यंत देतीं रहेंगीं। उनके इस पुनीत कार्य को लोग दिल से सराह रहे हैं।
डॉ. यादव की खासियत यह है कि वे गर्भवती महिलाओं की नॉर्मल डिलेवरी करवाती हैं। उनके पास मध्यप्रदेश ही नहीं, बल्कि गुजरात और राजस्थान तक के मरीज आते हैं और खुशियों के साथ अपने घर लौटते हैं। 92 बरस की आयु में भी वे कांपते हुए हाथों से अपने मरीजों को देखती हैं।
उनका मानना है कि मैं खुद होकर कभी रिटायर नहीं होऊंगी, जब तक कि ऊपर वाला रिटायर न कर दे... भक्ति यादव को इंदौर मेडिकल कॉलेज की महिला डॉक्टर होने का गौरव प्राप्त है। (वेबदुनिया न्यूज)