लोगों में मानसिक परेशानी बढ़ा रही है नकदी की कमी
कोलकाता। केंद्र के नोटबंदी के निर्णय से पश्चिम बंगाल के ऐसे कारोबारियों की मानसिक परेशानी बढ़ गई है जिनकी पूरी बिक्री ही नकदी में होती है। नोटबंदी की घोषणा के 1-2 दिन तक आलू विक्रेता बहुत परेशान हो रहा, क्योंकि उसके पास कोल्डस्टोर में करीब 50 से 60 लाख रुपए तक की सब्जी पड़ी हुई थी।
कारोबारी ने थोक आलू उधार में खरीदा था जबकि वह इसे छोटे कारोबारियों को नकदी में बेचता था, लेकिन अब नकदी की कमी के कारण खरीदार ही नहीं आ रहे हैं।
वरिष्ठ सलाहकार मनोचिकित्सक संजय गर्ग ने कहा कि थोक विक्रेताओं को डर है कि उनका पूरा भंडार बर्बाद हो जाएगा जिससे उन्हें भारी नुकसान होगा। उनमें तनाव और परेशानी है और नोटबंदी के कारण मरने की बात सोच रहे हैं। मनोचिकित्सक के अनुसार सरकार द्वारा नोटबंदी के निर्णय के बाद उनके पास मानसिक तनाव वाले मरीजों की संख्या बढ़ रही है।
गर्ग ने बताया कि इनमें से ज्यादातर मरीज मध्यम और उच्च मध्यम परिवारों के हैं। ये सभी लोग बंगाल के ग्रामीण इलाकों में रहते हैं, जहां प्लास्टिक मनी का इस्तेमाल बहुत सीमित है। एक अन्य महिला चिकित्सिक संतश्री गुप्ता ने कहा कि उनके पास एक 50 वर्षीय विधवा महिला आई जिसके पास अपने मृत पति का 30 लाख रुपए नकदी में था।
गुप्ता ने कहा कि वह एक फ्लैट खरीदने की योजना बना रही थी जबकि शेष राशि को अपने पुत्र की शादी में खर्च करना चाहती थी। अब वह बहुत असुरक्षित महसूस कर रही है। उन्होंने बताया कि उसे कुछ दिनों के लिए चिकित्सकीय देखरेख में रखा गया है। (भाषा)