रविवार, 22 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. समाचार
  3. प्रादेशिक
  4. Bones Bank Ganga
Written By अवनीश कुमार
Last Updated : रविवार, 7 जनवरी 2018 (00:01 IST)

अनूठा बैंक, जहां जमा की जाती हैं अस्थियां...

अनूठा बैंक, जहां जमा की जाती हैं अस्थियां... - Bones Bank Ganga
लखनऊ। आज हम आपको एक ऐसे बैंक के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां पर न तो रुपए रखे जाते हैं और न ही आपको खाता खुलवाने के लिए किसी भी प्रकार के पेपर की जरूरत होती है भी नहीं देने पड़ते हैं, ना ही किसी तरह की गारंटी की जरूरत होती है। 

यह बैंक ऐसी बैंक है जो गंगा को स्वच्छ बनाने में भी लोगों को जागरूक करने का कार्य कर रही है। इस बैंक के लॉकर का इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति अपने माता-पिता व पूर्वजों की अंतिम इच्छा को भी आराम से पूरा कर सकता है। यह बैंक एक अनोखी पहल के तहत चलाया जा रहा है। अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसी कौनसी अनोखी पहल है जिसके तहत आप अपने पूर्वजों की अंतिम इच्छा को पूरा कर सकते हैं और इच्छा को पूरा करने के लिए संसाधन जुटाने का पर्याप्त समय भी आपको मिल जाता है।
यहां किसी भी प्रकार के पेपर वर्क की भी जरूरत ही नहीं पड़ती है। उत्तरप्रदेश के कानपुर में कोतवाली थाना अंतर्गत बने भैरव घाट पर शवदाह गृह के पास ही अस्थि कलश बैंक का संचालन दिसंबर 2014 से अस्थि कलश बैंक का संचालन युग दधीचि देहदान संस्था के संस्थापक मनोज सेंगर कर रहे हैं। दरअसल, जब लोग शवदाह करते हैं तो राख, अधजली लकड़ियां अधजले शवों को गंगा में प्रवाहित कर देते हैं, जिससे गंगा मैली होती है और कई लोग ऐसे होते हैं जो अस्थियों को चुन तो जरूर लेते हैं, लेकिन उनका तुरंत विसर्जन नहीं करते हैं।

कई लोग अपने पूर्वजों की इच्छा को पूरा करने के लिए इलाहाबाद के संगम में अस्थियों को प्रवाहित करने का विचार बनाते हैं, लेकिन समय अभाव और परंपराओं के चलते अस्थियों को घर में नहीं रख पाते हैं और घर के बाहर भी संभाल के रखना संभव नहीं होता है। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर इस अनोखी पहल का शुभारंभ किया गया था, जिससे गंगा भी स्वच्छ रहें और लोग भी अपने पूर्वजों की अंतिम इच्छा भी पूर्ण कर पाएं। 

नोज सेंगर ने बताया कि मोक्ष धाम घाट पर आने वाले लोगों को विद्युत शवदाह गृह के प्रति भी प्रेरित किया जाता है। लोग अब विद्युत शवदाह गृह में अंत्येष्टि के बाद अस्थियों को बैंक में जमा कर रहे हैं। इसके बदले में संस्था द्धारा कोई शुल्क नहीं लिया जाता है। उन्होंने कहा कि अब हर माह करीब सौ से ज्यादा अस्थि कलश बैंक में जमा होते हैं। कलश पर मृतक का नाम पता लिखकर एक कार्ड बनाकर दिया जाता है।

अगर तीस दिनों तक अस्थियों को बैंक से नहीं निकाला जाता है तो संस्था के लोग खुद ही अस्थियों का भू-विसर्जन कर देते हैं। अस्थि कलश बैंक के संस्थापक सेंगर ने कहा कि जल्द ही प्रदेश के अन्य घाटों पर भी इसकी व्यवस्था संस्था द्वारा जल्द ही की जाएगी। संस्था से जुड़े मदनलाल भाटिया से जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने कहा कि अस्थि कलश बैंक के संस्थापक का यह एक सराहनीय प्रयास है क्योंकि समाज में जो कुरीतियां फैली है उनको तोड़ने के लिए किसी न किसी को तो आगे आना ही पड़ेगा। उन्होंने कहा कि इस बैंक में अस्थि कलश रखने वाले लोगों को प्रेरित किया जाता है कि अस्थियों को गंगा में प्रवाहित ना करके उनका भू-विसर्जन करें जिससे गंगा निर्मल रहे।
ये भी पढ़ें
उत्तर प्रदेश में भगवा रंग का खुला राज...