पटना। बिहार में मैट्रिक की परीक्षा में नकल करते पकडे गए 500 से अधिक परीक्षाथियों को निष्कासित किया गया। वहीं, शिक्षा मंत्री पीके शाही ने आज दलील दी कि अभिभावकों के सहयोग के बिना शत-प्रतिशत कदाचार मुक्त परीक्षा का आयोजन करा पाना सरकार के लिए संभव नहीं है।
गत 17 मार्च से जारी इस मैट्रिक परीक्षा में स्कूल भवन की दीवारों पर चढ़कर परीक्षार्थियों के अभिभावक, रिश्तेदार और सहयोगियों को अपने-अपने उम्मीदवारों को नकल कराते समाचार पत्रों में फोटो प्रकाशित और समाचार चैनलों में दिखाया गया है।
शाही से आज मैट्रिक परीक्षा में नकल किए जाने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने पत्रकारों से आज यहां बातचीत करते हुए कहा कि बिहार विद्यालय परीक्षा समिति को जिलों से जो रिपोर्ट प्राप्त हुए हैं उसके अनुसार कतिपय स्थानों पर विशेष तौर पर ग्रामीण इलाकों में मैट्रिक की परीक्षा में नकल किए जाने की शिकायतें मिली हैं।
उन्होंने कहा कि यूं तो बिहार विद्यालय परीक्षा समिति और जिला प्रशासन ने नकल मुक्त परीक्षा आयोजन के लिए व्यापक इंतजाम किए हैं लेकिन इस बात से वे इनकार नहीं करेंगे कि कतिपय स्थानों पर नकल की शिकायतें देखने को मिल रही हैं।
शाही ने कहा कि नकल मुक्त परीक्षा के लिए उनकी ओर से पूर्व में एक अपील प्रकाशित की गई थी, जिसमें अनुरोध किया गया था कि इसमें राज्य के सभी नागरिक विशेष तौर पर परीक्षार्थियों के अभिभावक सहयोग प्रदान करें।
शाही ने तर्क दिया कि इस परीक्षा में 14 लाख से अधिक परीक्षार्थी शामिल हैं। 1200 से अधिक परीक्षा केंद्र है। एक परीक्षार्थी को नकल कराने में 3 से 4 रिश्तेदार के शामिल होने पर यह संख्या 60 से 70 लाख हो जाती है। इतनी बड़ी संख्या को नियंत्रित करना और सौ फीसदी नकल मुक्त परीक्षा का अयोजन किया जाना यह मात्र क्या सरकार की अकेली जिम्मेदारी है।
उन्होंने कहा कि वे मीडिया के माध्यम से जनता के समक्ष एक प्रश्न रखना चाहते हैं कि क्या इसमें सामाजिक सहयोग की आवश्यकता नहीं है और क्या सरकार सामाजिक सहयोग के बिना कदाचार मुक्त परीक्षा आयोजित कराने में सफलता प्राप्त कर सकती है।
शाही ने कहा कि बच्चों के भविष्य के लिए सरकार से ज्यादा चिंता उनके अभिभावकों को होनी चाहिए। मैट्रिक की परीक्षा उनके बच्चों के जीवन में शिक्षा का अंतिम पड़ाव है और जो परीक्षार्थी नकल करके अच्छे अंक प्राप्त करते हैं उसके सहारे जीवन में उनकी भविष्य की नैया पार लगेगी।
उन्होंने कहा कि इस बात पर राज्य के सम्मानित अभिभावक, रिश्तेदार और सहयोगी अगर विचार नहीं करते हैं तो वे यह स्वीकार करते हैं कि इतने बड़े पैमाने पर आयोजित की जानी वाली परीक्षा को अकेले सरकार के बूते शत-प्रतिशत कदाचार मुक्त आयोजित किया जाना एक बहुत की कठिन और चुनौतीपूर्ण कार्य है।
मंत्री यह पूछे जाने पर कि ऐसे में यह मान लिया जाए कि राज्य सरकार, जिला प्रशासन और समिति असमर्थ है, उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है लेकिन यह भी सत्य है कि हमें सहयोगी की आवश्यकता है।
यह पूछे जाने पर आप मानते है कि सरकार इस परीक्षा के आयोजन में विफल रही है, बिहार के शिक्षा मंत्री शाही ने पलटकर पूछा कि क्या परीक्षार्थियों के अभिभावकों, रिश्तादारों और उनके सहयोगियों की जिम्मेदारी नहीं है। उन्होंने कहा कि ऐसा केवल बिहार में ही नहीं बल्कि देश के अन्य राज्यों में भी आयोजित होने वाली परीक्षाओं में इस प्रकार की शिकायतें मिलती हैं और उसके निराकरण के लिए प्रयास किए जाते हैं।
यह पूछे जाने पर पूर्व में अदालत के निर्देश पर प्रदेश में कदाचार मुक्त परीक्षा का आयोजन किया गया था और क्या यह अब संभव नहीं है? प्रदेश के पूर्व महाधिवक्ता के पद पर आसीन रहे शाही ने कहा कि उस परीक्षा में पटना उच्च न्यायालय की ओर से वह विशेष कार्य अधिकारी तैनात किए गए थे।
उन्होंने कहा कि उस परीक्षा में जिला प्रशासन के अतिरिक्त जिला न्यायधीश और विभिन्न न्यायधीशों को भी यह जिम्मेदारी सौंपी गई थी और एक वर्ष पटना विश्वविद्यालय में परीक्षा आयोजित कराई जा सकी और उतने कठोर कार्रवाई के बाद भी विधि की परीक्षा नहीं आयोजित हो पाई। विधि संकाय के परीक्षार्थियों ने परीक्षा नहीं दी, इसलिए यह कहना कि कदाचार मुक्त परीक्षा आयोजित की गई बिल्कुल सही नहीं है।
मंत्री से यह पूछे जाने पर अगर अभिभावक सहयोग नहीं करें तो कदाचार मुक्त परीक्षा का आयोजन सरकार के बूते के बाहर की बात है? मंत्री ने कहा कि बिल्कुल सही। जब तक सहयोग नहीं मिलेगा तब तक बेहतर इंतजाम नहीं कर पाएंगे।
शिक्षा मंत्री पीके शाही से यह पूछे जाने पर कि वह कैसा सहयोग चाहते हैं? उन्होंने कहा कि सहयोग यह चाहते हैं कि एक आदमी को नकल कराने के लिए चार व्यक्ति नहीं जाएं। परीक्षार्थी ही जाएं और परीक्षा दें।
उन्होंने कहा, ‘मैट्रिक परीक्षा को कदाचार मुक्त आयोजित किए जाने के लिए सरकार ने व्यापक प्रबंध किए हैं। सरकार ने अपील की है और फिर करेगी। आज भी मैंने मुख्य सचिव, डीजीपी को कहा है। सभी जिलों के जिला पदाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को कहा गया है। इसके बावजूद अभिभावकों के सहयोग की आवश्यकता है।’
यह पूछे जाने पर कि सरकार अपनी जिम्मेदारियों से कैसे भाग सकती है? उन्होंने कहा कि यह वास्तविकता और सच्चाई है जिसे उन्होंने रखा है।
इस बीच बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के सचिव श्रीनिवास तिवारी ने बताया कि इस परीक्षा के दौरान नकल करते गत 17 मार्च को 272 और 18 मार्च को 243 परीक्षार्थी पकड़े गए, जिन्हें परीक्षा से निष्कासित कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि परीक्षा के दौरान चोरी कराते तीन लोगों को गिरफ्तार कर उन्हें जेल भेजा गया है।
तिवारी ने बताया कि इस परीक्षा में कुल 14 लाख 26 हजार परीक्षार्थी भाग ले रहे हैं, जिनमें सात लाख से अधिक पुरुष और साढ़े छह लाख महिला परीक्षार्थी शामिल हैं। यह परीक्षा 1217 केंद्रो पर संचालित की जा रही है। (भाषा)