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Last Modified: शुक्रवार, 30 दिसंबर 2016 (15:40 IST)

अपनी ही पार्टी का चुनाव चिह्न जब्‍त कराने चुनाव आयोग जा सकते हैं अखिलेश यादव

अपनी ही पार्टी का चुनाव चिह्न जब्‍त कराने चुनाव आयोग जा सकते हैं अखिलेश यादव - akhilesh yadav Samajwadi Party symbol
लखनऊ। उत्तरप्रदेश में चुनाव नजदीक हैं ऐसे में उम्मीदवारों को लेकर मुलायम, शिवपाल और  अखिलेश यादव के बीच कुल की कलह जारी है। इस कलह से यह सिद्ध हो ही गया कि  समाजवादी पार्टी एक परिवार की पार्टी है जिसमें चाचा और भतीजे की वर्चस्व की लड़ाई के चलते कार्यकर्ता सड़कों पर हैं। 
अब खबर आ रही है कि यदि उम्मीदवारों की सूची का झगड़ा सुलझता नहीं है तो अखिलेश  यादव अपनी ही पार्टी के चुनाव चिन्ह 'साइकल' को जब्त कराने के लिए चुनाव आयोग जा  सकते हैं ताकि अगले चुनाव में उन्हें ये चिन्ह पुन: आवंटित हो जाएं।
 
403 सीटों के लिए पिता और चाचा ने 393 उम्मीदावरों को मैदान में उतारा है जिसमें से 68 उम्मीदावार शिवपाल के बताए जा रहे हैं जबकि बेटे अखिलेश ने अपने 235 उम्मीदवारों की सूची जारी की है। इस तरह कुल 628 उम्मीदवार हो जाते हैं। अब मुलायम ने गुरुवार को प्रत्याशियों के मन को टटोलने के लिए मीटिंग बुलाई है। जो भी हो, पार्टी में बगावत तो होना ही है चाहे अखिलेश हारे या शिपवाल। उम्मीदवार तो बगावत करेंगे ही।
 
जो भी हो पार्टी के अंदर का घमासान अब निर्णायक मोड़ पर आ गया है। ऐसे में अब सपा में  दोनों खेमों की ओर से अगला कदम क्‍या हो सकता है? यह जानना जरूरी है। हो सकता है कि अपनी मांगें नहीं मानने पर अखिलेश यादव अपनी अगुवाई में अलग चुनाव लड़ने का फैसला करें। इसके लिए अखिलेश ने अपने समर्थकों से चुनाव की तैयारी करने के लिए कहा है। पार्टी टूटने पर कांग्रेस और अखिलेश मिलकर चुनाव लड़ सकते हैं। यह भी हो सकता है कि मुलायम  सिंह यादव बैठकें करके कोई बीच का रास्ता निकाल लें। यदि वे ऐसा नहीं कर पाए तो बैकफुट  पर जा सकते हैं और फिर वे बस तमाशा ही देखते रह जाएंगे। 
 
हालांकि जानकारों का कहना है कि झगड़ा मात्र नोटंकी है। सबकुछ ठीक हो जाएगा। यह तो  कार्यकर्ताओं को गर्माए रखने की कवायद और मीडिया का फोकस अपनी ही पार्टी पर बनाए रखने की जुगत है, हालांकि अभी यह नोटंकी और कुछ दिन जारी रह सकती है।