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Last Modified: शुक्रवार, 30 दिसंबर 2016 (15:58 IST)

प्यार के बोल से होगा कश्मीर समस्या का हल : डॉ. यशवंत सिन्हा

प्यार के बोल से होगा कश्मीर समस्या का हल : डॉ. यशवंत सिन्हा - agenda of Alliance, Yashwant Sinha
नई दिल्ली। 'हमारा यह राष्ट्रीय कर्तव्य बनता है कि हम 'एजेंडा ऑफ एलाइंस' के तहत कश्मीरियों से बातचीत करें और उनकी समस्याओं का समाधान करें।' यह बात भारत सरकार के पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने नई दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में 'शंकर संस्कृति प्रतिष्ठान' द्वारा आयोजित 21वां डॉ. शंकर दयाल सिंह स्मृति व्याख्यान' में 'कश्मीर : स्थिति की समीक्षा' विषय पर अपने वक्तव्य में कही।
सिन्हा ने कश्मीर पर ध्यान केंद्रित कराते हुए कहा कि दूरदराज में रहने वाले लोगों की प्राय: यह शिकायत रहती है कि उनके साथ जो दुर्घटना होती है, उनके साथ जो दुर्घटित होता है, उसकी दिल्ली वाले या देश के अन्य भागों के लोग परवाह नहीं करते। इसलिए इस बात की जरूरत है कि उनमें यह विश्वास पैदा किया जाए कि देश के दूसरे भाग के लोग भी उनकी चिंता करते हैं और ये दूर-दुराव मिटाना होगा।
यशवंत सिन्हा ने कहा कि सच की हत्या के साथ प्राय: सामाजिक आंदोलनों में अफवाह का स्थान बन जाता है। कश्मीर में अभी यही स्थिति है। लोगों को अफवाहों से सावधान रहने की जरूरत है। कश्मीर घाटी में भयानक भ्रम की स्थिति है और इसका कारण है कि हमने उनसे सही संवाद स्थापित नहीं किया है। उन्होंने कहा कि अभी कश्मीर की जो स्थिति है, जो समस्या है, उसका समाधान उनके साथ संवाद से ही संभव होगा। उन्होंने कहा कि प्यार की बोली से उनकी पीड़ा को दूर किया जा सकता है।
 
कश्मीर के मामले में पाकिस्तान की भूमिका का उल्लेख करते हुए सिन्हा ने कहा कि पाकिस्तान ने गैरकानूनी तरीके से लगभग 5,000 से अधिक किलोमीटर की कश्मीर की विवादित सीमा चीन को दे दी। यह उसने अपनी दुर्नीति के तहत किया। 
 
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान का सबसे बड़ा झूठ यह है कि वह अपनी आतंकी गतिविधियों को छुपाने के लिए 1947 से आज तक यही कहता आ रहा है कि यह सब वह नहीं कर रहा है, बल्कि 'नॉन स्टेट एक्टर्स' हैं। पाकिस्तान ने कश्मीर के मुद्दे पर हमेशा वादाखिलाफी की है। वह कश्मीर में दहशहगर्दी फैलाता है तथा हम दुआ करते हैं कि इस बार का वसंत कश्मीरियों के लिए अमन-चैन का वसंत होगा। 
 
अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में सुलभ-संस्थापक डॉ. विंदेश्वर पाठक ने कहा कि कश्मीर की समस्या गंभीर है और मानवता की रक्षा के लिए जल्द से जल्द उसका समाधान हो जाना चाहिए तथा मेरा मानना है कि नौजवानों को काम में लगा दीजिए, कश्मीर समस्या का समाधान हो जाएगा। भारत सरकार को चाहिए कि एक स्पेशल पैकेज निकालकर वहां के नौजवानों को रोजगार दे दे, उनकी समस्या का हल हो जाएगा।
 
डॉ. पाठक ने कहा कि उनकी संस्था कश्मीर में काम कर रही है और वहां के युवाओं को कम्प्यूटर ट्रेनिंग, प्लंबिंग, सिलाई-कटाई इत्यादि में ट्रेनिंग देकर उन्हें कौशल प्रदान किया जा रहा है। इससे उनको रोजगार मिल जाएगा। वहां का विकास कर दें तो वहां कोई पत्थर चलाने वाला नहीं रहेगा। कश्मीर में अमन-चैन आ जाएगा।
 
इस अवसर पर प्रसिद्ध लेखिका नासिरा शर्मा को सम्मानित किया गया जिन्हें साहित्य अकादमी द्वारा उनके उपन्यास 'पारिजात' के लिए उन्हें 2016 का अकादमी पुरस्कार प्रदान किया गया है। अपने वक्तव्य में उन्होंने डॉ. शंकर दयाल सिंह से अपने निजी संबंधों को याद किया और बताया कि उनके घर पर हमेशा साहित्यकारों का जमावड़ा रहता था। 
 
कार्यक्रम में रंजन कुमार सिंह की अंगरेजी पुस्तक ‘The Ismalic Monument of Delhi’ का लोकार्पण भी किया गया।
 
कार्यक्रम के प्रारंभ में सभी अतिथियों ने दीप प्रज्वलित पर समारोह का उदघाटन किया और डॉ. शंकर दयाल सिंह के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। डॉ. मनीषा प्रियम ने स्वागत वक्तव्य दिया। उन्होंने कहा कि कथनी, करनी और कलम की तिकड़ी के सम्मिलन को डॉ. शंकर दयाल सिंह ने जीवन का ध्येय माना और अपने संपर्क के सभी व्यक्तियों को इन्हें अपना जीवन-मंत्र बनाने की प्रेरणा देते रहे।
 
कश्मीर में अमन, चैन और भाईचारा का संदेश देने के लिए ग्रामीणों विशेषकर लड़कियों के बीच सांस्कृतिक कार्यक्रम और जागरूकता अभियान करने वाली सुरिनी सिंह ने इस कार्यक्रम में 'पूरब से सूर्य उगा है हुआ उजियारा, जागी हर दिशा-दिशा, जागा जग सारा...' और 'अल्लाह तेरो नाम, ईश्वर तेरो नाम, सबको सन्मति दे भगवान...' जैसे नीतिपरक भजनों की प्रस्तुति कर श्रोताओं को मानवतावादी संदेश दिया।
 
रंजन कुमार सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन किया। अपने वक्तव्य में उन्होंने भारत सरकार से अनुरोध किया कि 1947 में मो. मकबूल शेरवानी ने पाकिस्तानी कबीलाइयों से जिस प्रकार कश्मीर की रक्षा की थी और उन्हें अपनी जान गंवानी पड़ी थी, इसके लिए उन्हें 'भारतरत्न' से अलंकृत किया जाना चाहिए। 
 
कार्यक्रम का संचालन रश्मि सिंह ने किया। इस अवसर पर केंद्रीय राज्यमंत्री राजीव प्रताप रूड़ी, राजेश कुमार सिंह, डॉ. हीरालाल बाछोतिया, डॉ. हरिसिंह पाल सहित दिल्ली एवं देश के अनेक राजनीतिज्ञ, साहित्यकार, पत्रकार एवं समाजसेवी उपस्थित थे।
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