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Written By निष्ठा पांडे
Last Modified: शुक्रवार, 21 मई 2021 (20:59 IST)

Ground Report : Corona की दूसरी लहर के बाद प्रवासियों की घर वापसी से सहमे उत्तराखंडी

Ground Report : Corona की दूसरी लहर के बाद प्रवासियों की घर वापसी से सहमे उत्तराखंडी - After second wave of Corona, Uttarakhandi suffered from homecoming of migrants
देहरादून। कोरोनावायरस (Coronavirus) संक्रमण की दूसरी लहर के बाद से प्रवासी उत्तराखंडियों की लगातार घर वापसी हो रही है। इस घर वापसी से गांव-घरों के लोग सहमे हुए हैं। कई गांवों में तो प्रवासियों की वापसी को संक्रमण की वजह माना जाने लगा है। राजनीतिक दल भी संक्रमण की जिम्मेदारी से बचने के लिए इन प्रवासियों पर तोहमत लगाने से भी परहेज नहीं कर रहे हैं। 
 
महानगरों में लगे कोविड कर्फ्यू के बाद से बहुत से लोग जहां बेरोजगार हो चुके हैं। वहीं, गांव में उनकी वापसी को लेकर कई जगह राजनीति भी होने लगी है। उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में अल्मोड़ा जनपद में घर वापसी करने वालों की संख्या सर्वाधिक है, जबकि दूसरे नंबर पर पौड़ी जिला है। विगत वर्ष मार्च माह से महानगरों में कोरोना फैलने के बाद लगे लॉकडाउन के चलते छिने रोजगार से ही उत्तराखंड से पलायन कर चुके हजारों प्रवासियों का रिवर्स पलायन शुरू होने का सिलसिला शुरू हुआ था, लेकिन जब अनलॉक की प्रक्रिया चली तो घर लौटे प्रवासियों ने वापस महानगरों की ओर रवाना हो गए। 
 
रोजगार का संकट : हालांकि इनमें से कुछ लोगों ने अपने गांवों की खेती-बाड़ी और अन्य रोजगार प्रारंभ कर दिया था। लेकिन अधिकांश ने यहां सरकारों की उनको रोजगार या काम देने की मात्र कोरी लफ्फाजी को देख फिर से महानगरों  की ओर रुख कर डाला। लेकिन अब कोरोना की दूसरी लहर के कारण एक बार फिर प्रवासियों के रिवर्स पलायन से एक अलग ही किस्म की दिक्कत पैदा हो गई है।
 
दिल्ली, मुंबई, गाजियाबाद, अहमदाबाद जैसे नगरों से आए ये प्रवासी रोजगार छिन जाने के बाद बेरोजगार हैं। जो पिछले साल भी यहां लौटे थे, उनका भी काम धंधा कुछ खास नही चल रहा है। जिसका सबसे बड़ा कारण यही है कि कोरोना की दूसरी घातक लहर से उत्तराखंड के तमाम ग्रामीण व शहरी क्षेत्र भी बुरी तरह से प्रभावित हैं। रेस्टोरेंट आदि का व्यवसाय भी ठप पड़ा हुआ है।
 
91 हजार प्रवासी लौटे : खेती-बाड़ी अधिकांश पर्वतीय जनपदों में सिंचाई के साधनों के अभाव में जंगली जानवरों के आतंक के चलते खत्म है। लेकिन कोरोना की दूसरी लहर के बाद इस बार फिर 91 हजार प्रवासी अपने गांव लौट आए हैं। राज्य का पंचायती राज विभाग इनके आंकड़े जुटा रहा है और इनकी संख्या अगले एक माह में दोगुनी होने की संभावना बताई जा रही है।
जो प्रवासी अब तक महानगरों से उत्तराखंड की तरफ आए हैं उनमें अल्मोड़ा में 29 हजार 415, पौड़ी में 20 हजार 743, नैनीताल में 7042, टिहरी में 6 हजार 167, देहरादून 5 हजार 956, उधम सिंह नगर में 4 हजार 460, हरिद्वार में 3 हजार 614, पिथौरागढ़ में 3 हजार 326, चंपावत में 2867, बागेश्वरी में 2 हजार 818, चमोली 2 हजार 480, रुद्रप्रयाग में 1 हजार 760 तथा उत्तरकाशी में 704 प्रवासी शामिल हैं।
 
इन उत्तराखंडियों ही नहीं बल्कि इनके परिवार के भरण-पोषण की भी दिक्कत है। चूंकि बहुत से परिवार ऐसे हैं, जिनके चूल्हे महानगरों में रहने वाले अपने युवा सदस्य द्वारा भेजी जाने वाले पैसों की जलते थे। निश्चित रूप से अब पहाड़ों में आने वाले समय में गरीबी का स्तर और अधिक विकराल रूप ले सकता है। इस बार प्रवासियों की घर वापसी को लेकर गांव-गांव में डर का माहौल है। गांव में फ़ैल रहे कोरोना को इनकी घर वापसी से जोड़कर देखने वालों की कमी नहीं है।
 
ऐसे में कई गांव में तो घर लौटे प्रवासियों को लेकर लोग गुस्से का भी इजहार करते दिखाई दे रहे हैं। ग्रामीण घर आए लोगों को ये भी चेतावनी दे रहे हैं कि वह घर आए हैं तो घर से बाहर न निकलें और अपने घरों में ही रहें।
 
 
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