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Last Updated :नागपुर (महाराष्ट्र) , शनिवार, 23 दिसंबर 2023 (00:25 IST)

बैंक घोटाला केस में महाराष्‍ट्र के पूर्व मंत्री समेत 6 लोगों को 5-5 साल की सजा

बैंक घोटाला केस में महाराष्‍ट्र के पूर्व मंत्री समेत 6 लोगों को 5-5 साल की सजा - 6 people including former Maharashtra minister sentenced in bank scam case
Bank scam case in Maharashtra : नागपुर की एक अदालत ने कांग्रेस विधायक एवं महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री सुनील केदार और 5 अन्य लोगों को नागपुर जिला केंद्रीय सहकारी बैंक (NDCCB) की निधि के दुरुपयोग के मामले में शुक्रवार को पांच-पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई। मामले के सभी 6 दोषियों पर 10-10 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है।
 
अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट जे वी पेखले-पुरकर ने 2002 के मामले में यह फैसला सुनाया। मामले के सभी छह दोषियों पर 10-10 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। इस मामले के आरोपियों में केदार के अलावा एनडीसीसीबी के महाप्रबंधक एवं निदेशक और एक निवेश कंपनी ‘होम ट्रेड प्राइवेट लिमिटेड’ के एक निदेशक शामिल हैं। तीन लोगों को बरी कर दिया गया है।
 
केदार को भारतीय दंड संहिता की धारा 409 (एक लोक सेवक द्वारा आपराधिक विश्वासघात) और अन्य प्रावधानों के तहत दोषी ठहराया गया था। अभियोजन पक्ष के अनुसार, एनडीसीसीबी को 2002 में सरकारी प्रतिभूतियों में 125 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ, क्योंकि ‘होम ट्रेड प्राइवेट लिमिटेड’ के माध्यम से धन निवेश करते समय नियमों का उल्लंघन किया गया था। उस समय केदार बैंक के अध्यक्ष थे।
 
अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पेखले-पुरकर ने फैसला सुनाते हुए कहा कि केदार और एक अन्य आरोपी को बैंक की पूरी हिस्सेदारी सौंपी गई थी। उन्होंने कहा कि जिस निधि का दुरुपयोग किया गया, वह बैंक के लोगों और सदस्यों की मेहनत की कमाई थी और इनमें से अधिकतर गरीब किसान हैं।
 
अदालत ने कहा कि सहकारिता क्षेत्र का उद्देश्य समाज में आर्थिक रूप से हाशिए पर रह रहे वर्गों की स्थिति को सुधारना है। अदालत ने कहा कि बैंक के तत्कालीन अध्यक्ष केदार और तत्कालीन महाप्रबंधक अशोक चौधरी को कानून द्वारा निर्धारित तरीके से धन निवेश करने का काम सौंपा गया था, लेकिन उन्होंने विश्वासघात किया।
 
न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा कि इस प्रकार का आपराधिक विश्वासघात गंभीर अपराध है। अदालत ने कहा कि इतनी बड़ी रकम का नुकसान बैंक की वित्तीय स्थिति को खराब करने के लिए पर्याप्त है, जिसका असर उसके हजारों सदस्यों और कर्मचारियों पर पड़ेगा।
 
अदालत ने कहा कि उच्च पदों पर बैठे लोगों को यह सुनिश्चित करने के लिए अधिक जिम्मेदारियां दी जाती हैं कि किसी सदस्य का एक भी रुपया किसी भी तरह से बर्बाद न हो। अदालत ने कहा, इसलिए अदालत को ऐसे जिम्मेदार व्यक्तियों द्वारा विश्वासघात के मामले में उनके खिलाफ सख्ती बरतनी होती है। अपराध की गंभीरता को देखते हुए आरोपी व्यक्तियों के प्रति कोई नरमी नहीं दिखाई जा सकती।
 
मामले में भारतीय दंड संहिता और दंड प्रक्रिया संहिता की प्रासंगिक धाराओं के तहत सजा पाने वालों में केदार, महाप्रबंधक अशोक चौधरी, केतन सेठ, अमित वर्मा, सुबोध भंडारी और नंदकिशोर त्रिवेदी शामिल हैं। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour 
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