मंगलवार, 8 अप्रैल 2025
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बालि ने दी थी अपने पुत्र अंगद को ये तीन शिक्षा

story of angad
* बच्चों आपको पता ही होगा कि अंगद भी हनुमानजी की तरह पराक्रमी और बुद्धिमान था। रावण की सभा में उन्होंने अपना एक पैर भूमि पर जमा दिया था जिसे कोई भी हिला नहीं पाया था।
 
 
*हनुमानजी, जामवंतजी की तरह ही अंगद भी प्राण विद्या में पारंगत था। इस प्राण विद्या के बल पर ही वह जो चाहे कर सकता था। राम की सेना में अंगद ने बहुत पराक्रम दिखाया था।
 
 
*एक बार की बात है जब प्रभु श्रीराम ने अंगद के पिता वानरराज बालि का वध कर दिया था तो बालि ने मरते वक्त अपने पुत्र को पास बुलाकर उसे ज्ञान की तीन बातें बताई थी।
 
 
देशकालौ भजस्वाद्य क्षममाण: प्रियाप्रिये।
सुखदु:खसह: काले सुग्रीववशगो भव।।-रामायण
 
 
*बालि ने कहा, पहली बात ध्यान रखना देश, काल और परिस्थितियों को हमेशा समझकर कार्य करना। दूसरी बात यह कि किसके साथ कब, कहां और कैसा व्यवहार करें, इसका सही निर्णय लेना। 
 
*अंत में बालि ने तीसरी सबसे महत्वपूर्ण बात कही कि पसंद-नापसंद, सुख-दु:ख को सहन करना और क्षमाभाव के साथ जीवन व्यतीत करना। यही जीवन का सार है। 
 
 
*बच्चों बालि की यह शिक्षा अंगद के जीवन में बहुत काम आई। बालि के कहने पर ही अंगद ने सुग्रीव के साथ रहकर प्रभु श्रीराम की सेवा की। अंगद ने प्रभु श्री राम के द्वारा सौंपे गए उत्तरदायित्व को बखूबी संभाला।