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Eid-ul-Fitr : जकात, फित्र देकर खुशियां हासिल करने का दिन है ईद-उल-फित्र, बरसती है अल्लाह की रहमत
शुक्रवार,अप्रैल 21, 2023
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रमजान के पूरे महीने रोजे रखे जाते हैं। इस महीने के खत्म होते ही दसवां माह शव्वाल शुरू होता है। इस माह की पहली चांद रात ईद की चांद रात होती है। इस रात का इंतजार वर्ष भर खास वजह से होता है, क्योंकि इस रात को दिखने वाले चांद से ही ईद उल-फ़ित्र का ऐलान ...
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मुसलमानों का सबसे बड़ा त्योहार कहा जाने वाला ईद-उल-फित्र पर्व न सिर्फ हमारे समाज को जोड़ने का मजबूत सूत्र है, बल्कि यह इस्लाम के प्रेम और सौहार्दभरे संदेश को भी पुरअसर ढंग से फैलाता है। मीठी ईद भी कहा जाने वाला यह पर्व खासतौर पर भारतीय समाज के ...
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रमजान माह की समाप्ति पर यानी इस महीने के अंतिम दिन चांद देखने के बाद अगले दिन ईद उल-फ़ित्र का पर्व मनाया जाता है। ईद उल-फ़ित्र/ईद-उल फितर को मीठी ईद भी कहते हैं। यह दिन खुदा का इनाम वाला भी माना जाता है। ईद उल-फ़ित्र मनाने से पहले यह जानना भी जरूरी ...
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इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, रमजान माह के बाद आनेवाले 10वें महीने शव्वाल की पहली तारीख को ईद-उल-फितर का त्योहार मनाया जाता है। ईद कब मनाई जाएगी यह चांद के दीदार होने पर तय किया जाता है।
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Eid Dishes 2023: चांद दर्शन के पश्चात ईद उल-फ़ित्र का त्योहार 21 या 22 अप्रैल को मनाया जा सकता है। रमजान, ईद-उल-फितर का त्योहार पास आते ही हर बाशिंदे के मन में शीर-खुरमा, सिवइयों के मीठे स्वाद का एक अलग ही अहसास भर जाता है। इसी के साथ ही रमजान के ...
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Essay on Ramadan Eid : इस्लाम धर्म में रमज़ान ईद का दिन बहुत ही खुशी का दिन माना गया है। ईद के दिन बंदे न केवल अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं, बल्कि वे अपने लिए और अपने करीबी लोगों के लिए अल्लाह से दुआ भी करते हैं। Essay on Eid Festiva'
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गौरतलब बात है कि रमजान का यह आखिरी अशरा दोजख से निजात (नर्क से मुक्ति) का अशरा (कालखंड) है। अल्लाह की सबसे बड़ी खूबी यह है कि उसका कोई शरीक नहीं है और वो अपने बंदे की फरियाद सुनता है। जैसा कि मजकूर (उपर्युक्त) आयत में अल्लाह ने खुद फरमाया है 'सो हम ...
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सत्ताईसवां रोजा तो वैसे भी दोजख से निजात के अशरे (नर्क से मुक्ति के कालखंड) में अपनी अहमियत रखता ही है। सत्ताईसवां रोजा दरअसल रोजादार को दोहरे सवाब का हकदार बना रहा है।
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रमजान माह (Ramadan 2023) इस्लामी पंचांग का 9वां महीना है और माहे रमजान में आने वाली शब-ए-कद्र की रात इस्लाम धर्म में बेहद अहम मानी जाती है। शब-ए-कद्र (shab e qadr ki raat) को लैलत अल-कद्र (Laylat al-Qadr) भी कहते हैं। वर्ष 2023 में 18 अप्रैल, ...
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26वां रोजा, अल्लाह की रहमत और इनायत पाने की सबसे खास रात होती है। हालांकि हदीसे-नबवी में जिक्र है कि शबे-कद्र को रमजान के आखिरी अशरे (अंतिम कालखंड) की ताक रातों (विषम संख्या वाली रातें) जैसे 21वीं, 23वीं, 25वीं, 27वीं, 29वीं रात में तलाश करो...
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अल्लाह की मेहरबानी से माहे-रमजान का कारवां पच्चीसवें रोजे तक पहुंच गया है। दोजख से निजात का अशरा (नर्क से मुक्त का कालखंड) चल रहा है। तरावीह- रमजान की रातों में की जाने वाली विशेष नमाज या प्रार्थना जो चांद रात से यानी पहले रोजे की पूर्व संध्या/पूर्व ...
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कुरआने-पाक की सूरह अल आला की सोलहवीं और सत्रहवीं आयत (आयत नंबर 16-17) में ज़िक्र है- 'मगर तुम लोग दुनिया की जिंदगी को अख्तियार करते हो, हालांकि आखिरत बहुत बेहतर और पाइन्दातर है।' इन पाकीजा आयतों की रोशनी में रमजान के इस आखिरी अशरे (अंतिम कालखंड) और ...
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रमजान का आखिरी अशरा दोजख से निजात का है, सच्चे दिल और पाक जज्बे के साथ अल्लाह की इबादत की जाए। लेकिन फिर यह सवाल है कि दिल सच्चा और जज्बा पाक कैसे होगा? इसका जवाब है कि जब अल्लाह तौफीक देगा तो बंदे का दिल सच्चा होगा और जज्बा पाक होगा...
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माहे रमज़ान को मज़हबे-इस्लाम में ख़ास मुक़ाम हासिल है। पाकीज़गी और परहेज़गारी की पाबंदी के साथ रखा गया रोज़ा रोज़ेदार को इबादत की अलग ही लज़्ज़त देता है। इस अशरे में इक्कीसवीं रात जिसे ताक़ (विषम) रात कहते हैं नमाज़ी एतेक़ाफ़ करता है। मोहल्ले में एक शख्स भी ...
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हजरत अली का जन्म मक्का शहर में हुआ था। वे शिया मुस्लिम समुदाय के पहले इमाम थे। वहीं हजरत मोहम्मद पैगंबर के बाद सुन्नी मुसलमानों के चौथे खलीफा भी थे। हजरत अली उस वक्त इस्लाम की मदद के लिए आगे आए जब इस्लाम का कोई भी हमदर्द नहीं था। उन्होंने इस्लाम ...
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इक्कीसवें रोजे से तीसवें रोजे तक के दस दिन/दस रातें रमजान माह का आख़िरी अशरा (अंतिम कालखंड) कहलाती है। चूंकि आख़िरी अशरे में ही लैलतुल क़द्र/शबे-क़द्र (वह सम्माननीय रात की विशिष्ट रात्रि जिसमें अल्लाह यानी ईश्वर का स्मरण तमाम रात जागकर किया जाता है
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ramadan n health care : इन दिनों पवित्र माह रमजान जारी है तथा इस महीने में रोजा रखने वालों को कई बार स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। अभी कोरोना तथा बढ़ती गर्मी और पल-पल बदलते मौसम के कारण हर किसी का बीमार होना आम बात है और ऐसे समय ...
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Ramadan Month : मगफिरत के अशरे की आखिरी कड़ी है बीसवां रोजा। जैसा कि पहले भी बयान किया जा चुका है कि ग्यारहवें रोज़े से शुरू होकर बीसवें रोज़े तक की बीच के दस दिनों की रोजादार की परहेज़गारी, इबादत, तिलावते-कुरआन और तक़्वा के साथ अल्लाह की फ़र्मांबरदारी ...
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कुरआने-पाक के पहले पारे की सूरह 'अलबकरह' की आयत नंबर एक सौ बावन में खुद अल्लाह का इरशाद है- 'सो तुम मुझे याद किया करो, मैं तुम्हें याद किया करूंगा और मेरा अहसान मानते रहना और नाशुक्री नहीं करना।' इस आयत की रोशनी में मगफिरत के अशरे को तो समझा ही जा ...
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