रमजान माह की परंपराएं जानें?
Mahe Ramadan 2025: रमजान माह यह संदेश देता है कि हमें अपने जीवन में संयम, अनुशासन और त्याग का पालन करना चाहिए। हमें जरूरतमंदों की मदद करनी चाहिए और अपने समाज को बेहतर बनाने में अपना योगदान देना चाहिए। रमजान माह हमें अल्लाह के प्रति अपनी भक्ति और प्रेम को और अधिक गहरा करने का अवसर प्रदान करता है।
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रमजान का महीना लोगों को नेकी करने का पैगाम देता है। यह उन्हें तमाम तरह की बुराइयों से रोकता है। जहां रोजे की वजह से लोग आत्मसंयम सीखते हैं यानी वे अपने मन और इंद्रियों को वश में रखना सीख पाते हैं। वहीं जकात और फितरे के जरिये वे गरीब व जरूरतमंदों की मदद करते हैं, जिससे समाज में यह संदेश जाता है कि हमें अपने जरूरतमंद पड़ोसियों, रिश्तेदारों, यतीमों, मिसकीनों और मुसाफिरों की हरमुमकिन मदद करने की कोशिश करनी चाहिए।
रमजान माह में कुछ विशेष परंपराएं भी निभाई जाती हैं। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
• सेहरी: रोजा शुरू करने से पहले सुबह खाना खाया जाता है, जिसे सहरी/सहूर/ सेहरी कहते हैं।
• इफ्तार: शाम को रोजा खोलने के बाद खाना खाया जाता है, जिसे इफ्तार कहते हैं।
• तरावीह: रात में नमाज के बाद विशेष नमाज पढ़ी जाती है, जिसे तरावीह कहते हैं।
• शब-ए-कद्र: रमजान माह की एक रात को शब-ए-कद्र कहा जाता है, जिसे बहुत ही पवित्र रात माना जाता है।
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