रेशम के धागे में लिपटा विश्वास की कोमलता में सिमटा श्रद्धा की लरियों से सजा राखी का स्वरूप धरा प्यार बाँधती हूँ... प्यारे भैया, तुम्हारी कलाई पर अपना अटूट विश्वास और अपना स्नेह अपार बाँधती हूँ...
लाल रोली में रंगा शौर्य और साहस का अक्षत टीककर हे भ्रातृ तुम्हारे ललाट पर शौर्यभाव माँगती हूँ... तुम्हारी इस कलाई पर राखी के रूप में विश्वास बाँधती हूँ...
ये आरती के दीये तुम्हें दूर रखें दुर्गुणों से इसलिए इनकी रोशनी का प्रकाश बाँधती हूँ..
तुम्हारी इस कलाई पर स्नेह अपार बाँधती हूँ... राखी के इस बंधन की मिठास सदा बनी रहे इसलिए तुम्हारे मुख में स्नेह का मिठास भरा स्वाद डालती हूँ...
प्यारे भैया तुम्हारी कलाई पर अपना प्यार बाँधती हूँ...