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Last Modified: टोंक , रविवार, 2 दिसंबर 2018 (17:22 IST)

टोंक में सचिन पायलट का पलड़ा भारी, अकेले पड़े यूनुस खान

टोंक में सचिन पायलट का पलड़ा भारी, अकेले पड़े यूनुस खान - Sachin pilot in strong position tonk
राजस्थान के टोंक में कांग्रेस और भाजपा ने उतारे बाहरी उम्मीदवारों में कांग्रेस के सचिन पायलट के मुकाबले भाजपा उम्मीदवार यूनुस खान अकेले दिखाई पड़ रहे हैं।
 
भाजपा ने यहां से एक मात्र मुस्लिम उम्मीदवार यूनुस खान को खड़ा किया हैं। खान के चुनाव क्षेत्र में अब तक स्टार प्रचारक नहीं पहुंच रहे हैं तथा वह अपने दम पर ही कांग्रेस को चुनौती देने का प्रयास कर रहे हैं।
 
विधायक अजित मेहता का टिकट कटने से वह भी खास भूमिका नहीं निभा रहे हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में सांसद बने सुखवीर सिंह जौनपुरिया भी भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में जोर लगा रहे हैं लेकिन अपने गुजर समुदाय में भी वह कांग्रेस प्रत्याशी के खिलाफ कुछ ठोस नहीं बोल पा रहे हैं।
 
वसुंधरा सरकार में सार्वजनिक निर्माण मंत्री होने के कारण उन्हें सड़कों की दुर्दशा को लेकर भी जनता के सवालों का जवाब देना पड़ रहा है। पायलट भी सड़कों की जर्जर हालात को मुद्दा बना रहे हैं।
 
पायलट को भावी मुख्यमंत्री मानने की बात भी कांग्रेस प्रत्याशी के लिए मजबूत पक्ष बनता जा रहा है। हालांकि पायलट सभाओं में अपने को मुख्यमंत्री का दावेदार नहीं बता रहे है लेकिन जनभावनाएं उनसे जुड़ती नजर आ रही है। कांग्रेस किसी बड़े नेता की चुनावी सभाएं करने की जरुरत महसूस नहीं कर रहा है।
 
मुस्लिम बहुल क्षेत्र में प्रत्याशी बनकर पायलट ने धर्मनिरपेक्षता का भी संदेश दिया हैं। मुसलमानों ने भी उनकी उम्मीदवारी पर उत्साह दिखाया हैं तथा पिछली बार चुनाव में दूसरे स्थान पर रहे शहूद शहीदी ने पायलट के समर्थन में खुलकर आ गए हैं। जाति धर्म के मुद्दे पर यहां कोई माहौल नहीं हैं लेकिन पायलट ने भाजपा को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लाने की चुनौती देकर भाजपा के लिए असमंजस्य की स्थिति पैदा कर दी हैं।
 
पायलट भी टोंक के लिए बाहरी है लेकिन कांग्रेस का बड़ा चेहरा होने के कारण उनकी उपेक्षा दिखाई नहीं दे रही है। चुनाव में पायलट के लिए यह कोई मुद्दा भी नहीं बन रहा है। यहां से पिछली बार कांग्रेस की जकिया इनाम की स्थानीय होने के बावजूद जमानत जब्त हो गई थी तथा भाजपा के अजित मेहता को विजयी मिली थी। यह माना जा रहा है कि पिछली बार शहूद शहीदी के चुनाव मैदान में उतरने का भाजपा को फायदा मिला।
 
कांग्रेस में उम्मीदवार को लेकर भी स्थानीय नेताओं में कोई मतभेद नजर नहीं आता तथा पांच साल से सत्ता से वंचित कार्यकर्ता भी अपनी सरकार लाने के लिए उतारु दिख रहे हैं। यही कारण है कि पायलट अपना चुनाव क्षेत्र संभालने की चिंता छोड़कर प्रदेश भर में प्रचार कर रहे हैं।
 
टोंक में कोई बड़ा कारखाना नहीं होने तथा बीड़ी और गलीचा उद्योग नष्ट होने से रोजगार की काफी समस्या है लेकिन इस दिशा में अभी किसी उम्मीदवार ने जनता को भरोसा नहीं दिया हैं। टोंक में रेल लाइन भी मुद्दा बना हुआ हैं। राज्य सरकार की तरफ से योजना में बराबर की राशि आवंटित नहीं करने से लोगों में नाराजगी दिखाई पड़ रही हैं।
 
टोंक के पास बनास नदी में बजरी की बहुलता के कारण काफी लोगों को बजरी से रोजगार मिल रहा था लेकिन अदालत की रोक के कारण यह रोजगार का जरिया छीन गया हैं। कांग्रेस ने हालांकि बजरी को लेकर भाजपा पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगाए हैं।
 
आम आदमी पार्टी के रामपाल जाट ने भी इस क्षेत्र से चुनाव लड़कर किसानों के मुद्दे पर माहौल को गर्माने का प्रयास किया हैं। इस प्रत्याशी ने अपनी जाति के वोट बैंक को साधने का भी भरसक प्रयास किया हैं। (वार्ता)
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