बीकानेर में दो अरब का चुनावी सट्टा
बीकानेर। चुनाव आयोग की सख्ती के कारण जिला प्रशासन ने इस बार निष्पक्ष और भयमुक्त चुनाव के लिए अपनी समूची ताकत झोंक रखी है। चुनावों में मतदाताओं को लुभाने के लिए कोई उम्मीदवार धनबल और बाहुबल का प्रभाव नहीं दिखा सके, इसके लिए कड़ी सुरक्षा और सतर्कता बरती गई। इसके बावजूद बीकानेर में मतदाताओं के मानस को प्रभावित करने वाले सटोरियों पर किसी प्रकार का अंकुश नजर नहीं आया, जिसकी वजह से चुनावी प्रचार अभियान से लेकर मतदान के अंतिम दौर तक जिले में चुनावी सट्टे का कारोबार निर्बाध रूप से चलता रहा और मुकाबले में अपनी स्थिति मजबूत दर्शाने के लिए चुनावी प्रत्याशी सट्टा बाजार में करोड़ों के दांव लगाकर एक-दूसरे के भाव घटाते-बढ़ाते रहे। दिलचस्प बात यह रही कि प्रशासन और पुलिस के अधिकारियों को बीकानेर में बड़े पैमाने पर चल रहे चुनावी सट्टेबाजी की पुख्ता जानकारी के बाद भी उस पर पाबंदी के लिए प्रयास नहीं किए। बीकानेर जिले की सातों सीटों पर प्रत्याशियों के चयन से लेकर मतदान के अंतिम दौर तक खुलकर चले चुनावी सट्टेबाजी के इस खेल में दांव लगने का आंकड़ा दो अरब से ऊपर पहुंच गया और प्रशासन व पुलिस के अधिकारी आंखें मूंदकर यह देखते रहे और यह भी माना जा रहा था कि करोड़ों रुपए की सहूलियत फीस भी सट्टोरियो इनको दे रहे होंगे। पता चला है कि पिछले पखवाड़े से देश के महानगरों से कुख्यात सट्टेबाज यहां राजस्थान के सबसे बड़े सट्टा हब बन चुके बीकानेर में डेरे डाल चुके थे और पन्द्रह दिनों तक चली चुनावी गहमा-गहमी के दौर में खुलकर अपना कारोबार किया। कानूनी रूप से अवैध सट्टेबाजी के इस अजीबो-गरीब खेल में नेताओं सहित सट्टेबाजी में लिप्त लोगों ने बढ़-चढ़कर दांव लगाए। यह भी पता चला है कि चुनावी जंग में अपनी जीत के भाव कायम रखवाने के लिए उम्मीदवारों ने सट्टा बाजार में करोड़ों रुपए बहाए। (कनक मीडिया)