रंग-बिरंगे परिधानों में सजी-धजी ग्रामीण महिलाओं की लंबी कतारें, कतारों में गूँजते राजस्थानी लोकगीत। हाथ में मतदाता पहचान पत्र थामें घूँघट की ओट से झाँकती दो आँखे और आँखों से झाँकता खुशी का उल्लास। राजस्थान विधानसभा चुनाव में गुरुवार को ग्रामीण क्षेत्रों के मतदान केंद्रों पर कुछ इसी तरह का नजारा था।
लोकंतत्र के सबसे बड़े त्यौहार में शामिल होने के लिए महिला और पुरुषों के बीच जैसे होड लगी थी। मतदान केंद्र के बाहर घंटों लाइन में खडे रहने के बावजूद चेहरे पर थकान का कहीं नामोनिशान नहीं था हर चेहरे पर बस मतदान का उल्लास नजर आ रहा था।
दौसा विधानसभा क्षेत्र के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय बडागाँव में ईवीएम से पहला वोट डालकर ममता खुशी से फूली नहीं समा रही थी। मतदान केंद्र से बाहर खडी अपनी सहेलियों के बीच पहुँचते ही ममता ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि ' आ मशीन तो बड़ी चौखी बाजै।'
गुरुवार को मतदान पर्व में शामिल होने के लिए महिलाओं में जबरदस्त जोश था। कई स्थानों पर तो पुरुषों से बड़ी महिलाओं की कतारें दिखाई दी। कहीं पर अपने बच्चों को गोद में उठाए महिलाएँ कतारों में खडी थी तो कहीं हाथ में टिफिन लिए महिलाएं अपनी बारी का इंतजार करती नजर आई।
गुर्जर आंदोलन का दंश झेल चुके पूर्वी राजस्थान के पाँच जिलों में भी मतदान के प्रति लोगों में जबरदस्त आकर्षण नजर आया। भरतपुर, करौली, सवाई माधोपुर और दौसा जिलों में तो सुबह से ही लोगों का हुजूम ट्रेक्टर-ट्रॉलियों और राजस्थानी जुगाड़ पर सवार होकर मतदान केंद्रों की ओर उमड़ने लगा था।
महिलाएँ भी अपना चूल्हा चौका छोड़कर मतदान केंद्रों के बाहर लंबी कतारों में डटी थी। चुनाव की दृष्टि से क्रिटिकल जोन में शामिल किए गए इन जिलों में मतदान के प्रति आकर्षण कम नहीं था। क्रिटिकल मतदान केंद्रों के बाहर पुलिस और अर्द्ध सैनिक बलों का भारी जमावडा भी लोगों को मतदान केंद्रों से दूर नहीं रख पाया।