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Last Modified: जयपुर , सोमवार, 9 अक्टूबर 2023 (23:52 IST)

Rajasthan Assembly Elections : राजस्थान चुनाव में इन 15 सीटों पर रहेगी सभी की नजर

Rajasthan Assembly Elections
Rajasthan Assembly Elections : राजस्थान में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए सोमवार को घोषित किए गए (चुनाव) कार्यक्रम के अनुसार मतदान 23 नवंबर को और मतगणना 3 दिसंबर को होगी। राज्य विधानसभा की कुल 200 सीट में इन 15 सीटों पर मुख्य रूप से सभी की नजर रहेगी :
 
1. सरदारपुरा : जोधपुर जिले में कांग्रेस का गढ़ कही जाने वाली सरदारपुरा सीट पर 1999 से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत लगातार जीत रहे हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में उन्हें 63 फीसदी वोट मिले थे।
 
2. झालरापाटन : झालावाड़ जिले में भाजपा के इस गढ़ का प्रतिनिधित्व 2003 से पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे कर रही हैं। राजे ने पिछले चुनाव में यहां पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह के बेटे मानवेंद्र सिंह जसोल को लगभग 35,000 मतों के अंतर से हराया था।
 
3. टोंक : राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व को चुनौती दे रहे कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने 2018 में यह सीट जीती थी। इस विधानसभा क्षेत्र में गुर्जर, अनुसूचित जाति और मुस्लिम मतदाताओं का अनुपात अधिक है।
 
4. लक्ष्मणगढ़ : भाजपा इस सीट पर सिर्फ एक बार 2003 में जीती है। कांग्रेस की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा 2008 से इस सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
 
5. झुंझुनू : जाट नेता शीशराम ओला ने तीन बार इस सीट का प्रतिनिधित्व किया और उनके बेटे बृजेंद्र ओला 2008 से यहां जीत रहे हैं। राजस्थान के पहले विधानसभा अध्यक्ष नरोत्तम लाल (कांग्रेस) यहीं से थे। विधानसभा की पूर्व अध्यक्ष सुमित्रा सिंह यहां से छह बार निर्वाचित हुईं, जिनमें से चार बार उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की।
 
6. चुरू : राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने 1990 के बाद भाजपा के इस गढ़ का छह बार प्रतिनिधित्व किया है। कांग्रेस नेता डोटासरा का दावा है कि इस निर्वाचन क्षेत्र में जनता का मिजाज बदल गया है और उन्होंने राठौड़ को चुनौती दी है कि वे यहां से फिर चुनाव लड़ें।
 
7. उदयपुरवाटी : हाल ही में अशोक गहलोत मंत्रिमंडल से बर्खास्त किए गए राजेंद्र गुढ़ा ने 2008 और 2018 में बसपा के टिकट पर यह सीट जीती थी, लेकिन दोनों ही बार वह कांग्रेस में चले गए। गुढ़ा का दावा है कि उनके पास गहलोत के 'भ्रष्टाचार के विवरण वाली लाल डायरी' है। गुढ़ा हाल में एकनाथ शिंदे नीत शिवसेना में शामिल हो गए।
 
8. कोटा उत्तर : 1993 से यह सीट बारी-बारी से भाजपा और कांग्रेस जीतती रही है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने 2003 में इस सीट पर जीत दर्ज की थी। राजस्थान के मंत्री और वर्तमान विधायक शांति धारीवाल इस निर्वाचन क्षेत्र से हैं और वह चाहते हैं कि इस बार उनके बेटे को यहां से कांग्रेस का टिकट दिया जाए।
 
9. अंता : राजस्थान के खान मंत्री प्रमोद जैन भाया इस निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। लेकिन अगर कांग्रेस ने उन्हें फिर से प्रत्याशी बनाया तो उन्हें अपनी ही पार्टी के भरत सिंह कुंदनपुर से कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।
 
10. उदयपुर : गुलाबचंद कटारिया इस साल की शुरुआत में असम के राज्यपाल नियुक्त किए गए, जिससे यह सीट खाली हुई। कटारिया छह बार यहां से विधायक रहे। ऐसी अटकलें हैं कि भाजपा अब यहां पूर्व मेवाड़ राजपरिवार के किसी सदस्य को चुनाव मैदान में उतार सकती है।
 
11. खाजूवाला : चर्चा है कि इस सीट पर दलित नेता और राजस्थान के मंत्री गोविंद राम मेघवाल तथा केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल के बीच मुकाबला हो सकता है।
 
12. पोकरण : यहां अक्सर चुनाव धार्मिक आधार पर लड़े जाते हैं। मुस्लिम धर्मगुरु गाजी फकीर के बेटे सालेह मोहम्मद ने 2018 में हिंदू संत और भाजपा उम्मीदवार प्रताप पुरी को हराया था। दोनों का एक-दूसरे से फिर से आमना-सामना होने की संभावना है।
 
13. बीकानेर पश्चिम : शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला इस सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं, लेकिन मुख्यमंत्री गहलोत के ओएसडी (विशेष अधिकारी) लोकेश शर्मा लगातार दौरा कर रहे हैं और पार्टी के टिकट के दावेदार हो सकते हैं।
 
14. खींवसर : राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के प्रमुख और सांसद हनुमान बेनीवाल जाटों के गढ़ नागौर में स्थित इस सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। वहीं कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुईं नागौर की पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा को उनके खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा जा सकता है।
 
15. ओसियां : सचिन पायलट समर्थक दिव्या मदेरणा यहां से पहली बार की कांग्रेस विधायक हैं। लेकिन आरएलपी के बेनीवाल यहां कई रैली कर चुके हैं और उनकी पार्टी उनके लिए चुनौती खड़ी कर सकती है।
Edited By : Chetan Gour (भाषा)
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