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  3. प्रयागराज कुंभ मेला इतिहास
  4. History of Prayagraj Kumbh Mela 2001
Written By WD Feature Desk
Last Modified: शुक्रवार, 3 जनवरी 2025 (17:57 IST)

प्रयागराज कुंभ मेला 2001: इतिहास और विशेषताएं

kumbha
साल 2001 में प्रयागराज में कुंभ मेले में छह हफ़्तों के दौरान सात करोड़ श्रद्धालु शामिल हुए थे। 24 जनवरी को अकेले ही तीन करोड़ लोग इस मेले में शामिल हुए थे। प्रयागराज कुंभ मेला 2001 का आयोजन 9 जनवरी से 21 फरवरी 2001 के बीच प्रयागराज (तत्कालीन इलाहाबाद) में हुआ। इसे 'महाकुंभ मेला' कहा गया क्योंकि यह 144 वर्षों बाद ऐसा संयोग था जब सूर्य, चंद्रमा, और बृहस्पति एक विशेष स्थिति में थे। 2001 का कुंभ मेला 21वीं सदी का पहला महाकुंभ था। हिंदू ज्योतिष के अनुसार, जब बृहस्पति वृषभ राशि में, सूर्य और चंद्रमा मकर राशि में होते हैं, तब प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन होता है।ALSO READ: प्रयागराज कुंभ मेला 2013 का इतिहास
 
महत्वपूर्ण तिथियां और स्नान:
  • 9 जनवरी 2001: पौष पूर्णिमा (पहला स्नान)
  • 14 जनवरी 2001: मकर संक्रांति (दूसरा प्रमुख स्नान)
  • 24 जनवरी 2001: मौनी अमावस्या (मुख्य और सबसे महत्वपूर्ण स्नान)
  • 29 जनवरी 2001: बसंत पंचमी
  • 8 फरवरी 2001: माघी पूर्णिमा
  • 21 फरवरी 2001: महाशिवरात्रि (अंतिम स्नान)
  • मौनी अमावस्या (24 जनवरी) का स्नान सबसे महत्वपूर्ण था, जिसमें लगभग 3 करोड़ श्रद्धालु संगम में स्नान के लिए पहुंचे।
 
आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व:
इस महाकुंभ मेले को 'आध्यात्मिक महासंगम' कहा गया। साधु-संतों, अखाड़ों और नागा बाबाओं ने शाही स्नान किया। विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों, प्रवचनों और भजन-कीर्तन का आयोजन किया गया। साधु-संतों के अलावा लाखों आम श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में स्नान कर पुण्य अर्जित किया।ALSO READ: प्रयागराज में 3000 हजार वर्षों से कुंभ मेले का हो रहा है आयोजन
 
प्रशासनिक व्यवस्था:
2001 के कुंभ मेले में लगभग 7 करोड़ श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया। प्रशासन द्वारा 40 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में मेला आयोजन किया गया। सुरक्षा प्रबंध: सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस बल, अर्धसैनिक बल और निगरानी कैमरों का उपयोग किया गया। स्वास्थ्य सेवाएँ: अस्थायी अस्पताल, मोबाइल क्लिनिक और स्वास्थ्य केंद्र स्थापित किए गए। इतनी बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ को नियंत्रित करना प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती थी। हालांकि, 2001 के कुंभ मेले का आयोजन सफलतापूर्वक किया गया और किसी बड़ी दुर्घटना की खबर नहीं आई।
 
वैश्विक आकर्षण:
प्रयागराज कुंभ मेला 2001 को 'विश्व का सबसे बड़ा आध्यात्मिक आयोजन' कहा गया। इस आयोजन ने वैश्विक पर्यटकों, शोधकर्ताओं और पत्रकारों का ध्यान आकर्षित किया। कई अंतर्राष्ट्रीय मीडिया संगठनों ने इसे कवर किया और इसकी भव्यता को दुनिया तक पहुँचाया। कुंभ मेले में समाज के हर वर्ग के लोग बिना किसी भेदभाव के एक साथ संगम पर स्नान करते हैं। यह आयोजन सामाजिक समरसता और समानता का प्रतीक है। सांस्कृतिक कार्यक्रम, नृत्य, संगीत और साहित्यिक सभाओं का आयोजन किया गया।
 
आर्थिक प्रभाव:
मेले के आयोजन से स्थानीय व्यापार, पर्यटन, और सेवाओं को भारी आर्थिक लाभ हुआ। होटल, परिवहन, और अन्य सेवाओं में भारी वृद्धि देखी गई। प्रयागराज कुंभ मेला 2001 न केवल धार्मिक आस्था का संगम था, बल्कि यह सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक दृष्टिकोण से एक ऐतिहासिक आयोजन भी था।