Faizabad Lok Sabha Seat: अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के बाद फैजाबाद संसदीय सीट पर पहली बार लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) हो रहे हैं। इस सीट पर 13 उम्मीदवार मैदान में हैं, लेकिन सीधा मुकाबला भाजपा और समाजवादी पार्टी के बीच है। भाजपा ने यहां से वर्तमान सांसद लल्लू सिंह (BJP Candidate Lallu Singh) को टिकट दिया है, जबकि सपा ने मिल्कीपुर से विधायक अवधेश प्रसाद को मैदान में उतारा है। इस बार मुख्य चुनावी मुद्दे राम मंदिर, मोदी का चेहरा और विकास ही रहने वाले हैं। भाजपा के लल्लू सिंह भी इन्हीं के सहारे ही हैट्रिक लगाने की उम्मीद लगाए हैं। बसपा ने यहां से ब्राह्मण उम्मीदवार सच्चिदानंद पांडेय को उम्मीदवार बनाया है। रामलला का आशीष किसे मिलेगा, ये फिलहाल कोई नहीं जानता।
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2019 में घट गई लल्लू की लीड : समाजवादी पार्टी अनुसूचित जाति, ओबीसी और मुस्लिम वोटरों के सहारे अपनी चुनावी नैया को पार कराने की मंशा पाले हुए है। हालांकि भाजपा के पक्ष में एक बात यह है कि लल्लू सिंह लगातार दो बार से इस सीट से चुनाव जीत रहे हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में तो उन्होंने इस सीट पर 2 लाख 82 हजार वोटों से जीत हासिल की थी। हालांकि 2019 में मोदी लहर के बावजूद उनकी लीड घटकर 65 हजार रह गई थी। इसलिए यह कहना सही नहीं होगा कि लल्लू की राह इस बार आसान होगी। हालांकि राम मंदिर का फायदा उन्हें मिल सकता है।
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9 बार विधायक रह चुके हैं अवधेश : भाजपा प्रत्याशी लल्लू सिंह अयोध्या विधानसभा क्षेत्र से लगातार 5 बार (1981 से 2012 ) तक भाजपा से विधायक भी रह चुके है। इस बार भी उनकी स्थित काफी मजबूत बताई जा रही है। दूसरी ओर, सपा प्रत्याशी अवधेश प्रसाद पासी समाज से आते हैं, जिनकी छवि दलित नेता की है। ये राजनीति के मंजे हुए खिलाड़ी हैं। अवधेश 1977 से ही स्व. मुलायम सिंह यादव के शागिर्द रहे हैं। साथ ही 9 बार विधायक रह चुके हैं। उत्तर प्रदेश सरकार में 5 बार कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। वे पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। अवधेश भी खुद का राम से जुड़ाव बताते हैं, वे अपने दादा-पिता का नाम बताकर कहते हैं कि उनके सबके नाम साथ राम जुड़ा हुआ है। अवधेश भी राम का ही एक नाम है।
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विधानसभा में भाजपा का पलड़ा भारी : फैजाबाद लोकसभा सीट 5 विधानसभा क्षेत्रों में बंटी हुई है। विधानसभा चुनाव में मिले मतों के आधार पर देखें तो यहां केन्द्र और राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा का पलड़ा भारी है। सिर्फ मिल्कीपुर विधानसभा में ही सपा को जीत मिली थी, जबकि अयोध्या रूदौली, बीकापुर और गोसाईंगंज विधानसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा है।
22 लाख से ज्यादा मतदाता : फैजाबाद संसदीय सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 22 लाख 16 हजार 172 है। इनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 11 लाख के करीब है, वहीं महिला मतदाताओं की संख्या 10 लाख है। यहां युवा मतदाता भी बड़ी संख्या में हैं। उनकी भूमिका भी महत्वपूर्ण होगी। हालांकि सपा की निगाह यहां के एससी के साथ ही मुस्लिम और यादव मतदाताओं पर है।
क्या फैजाबाद का जातीय गणित : फैजाबाद सीट पर सबसे ज्यादा ओबीसी वोटरों की संख्या है, जो 7.20 लाख के करीब है। इनमें भी सबसे ज्यादा संख्या यादव मतदाताओं की है। एससी वोटरों की संख्या 4.70 लाख के करीब है। डेढ़ लाख के लगभग यहां पर मुस्लिम वोटर हैं। सामान्य जाति के वोटर (ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य) भी यहां 5.65 लाख के आसपास है। यदि समाजवादी पार्टी मुस्लिम और यादव वोटरों को साध पाती है तो उसे बढ़त भी मिल सकती है। हालांकि राम लहर का भाजपा को फायदा मिल सकता है।
क्या फैजाबाद सीट का इतिहास : फैजाबाद लोकसभा सीट के चुनावी इतिहास पर नजर डालें तो 1957 से 1971 तक के चार चुनावों में कांग्रेस के राजाराम मिश्र, बृजवासी लाल और रामकृष्ण सिन्हा चुनाव जीते। सिन्हा लगातार 2 बार जीते। आपातकाल के बाद 1977 में हुए चुनाव में जनता पार्टी के अनंतराम जायसवाल चुनाव जीते। 1980 में कांग्रेस ने फिर वापसी की और जयराम वर्मा चुनाव जीते। 1984 की कांग्रेस लहर में निर्मल खत्री चुनाव जीते।
1989 में यहां से भाकपा के मित्रसेन यादव भी चुनाव जीते। 1991 में यहां पहली बार यह सीट भाजपा को मिली। हिन्दुत्व के बड़े चेहरे विनय कटियार यहां से लगातार 2 बार जीते। 1998 में मित्रसेन यादव सपा के टिकट पर चुनाव जीते, जबकि 1999 में विनय कटियार फिर भाजपा के टिकट पर चुनाव जीते। 2004 में मित्रसेन यादव बसपा के टिकट पर चुनाव जीते। 2009 में एक बार फिर कांग्रेस के निर्मल खत्री ने चुनाव जीता।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala