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Parsi New Year : पारसी नववर्ष आज, जानें परंपरा और खास बातें

Parsi New Year : पारसी नववर्ष आज, जानें परंपरा और खास बातें - Parsi New Year 16 August
Parsi New Year 2023 : पारसी धर्म ईरान का मूल धर्म है। इस बार 16 अगस्त 2023 को पारसी समुदाय में पारसी नववर्ष का पर्व मनाया जा रहा है। पारसी समुदाय में आज भी अपने त्‍योहार उतने ही पारंपरिक तरीके से मनाते हैं, जैसे कि वर्षों पहले मनाए जाते थे। और जो बात पारसी नववर्ष को खास बनाती है, वह यह कि ‘नवरोज’ समानता की पैरवी करता है। यूं तो भारत के हर त्‍योहार में घर सजाने से लेकर मंदिरों में पूजा-पाठ करना और लोगों का एक-दूसरे को बधाई देना शामिल है। लेकिन पारसी समुदाय के लिए पारसी नववर्ष दिवस बेहद महत्वपूर्ण होता है। 
 
आइए यहां जानते हैं इस दिन परंपराएं और खास बातें-
 
1. वर्ष में 2 बार पारसी नववर्ष मनाया जाता है। पहला 21 मार्च और दूसरा 16 अगस्त को। 
 
2. पारसी धर्म के संस्थापक जरथुस्त्र हैं।
 
3. मान्यतानुसार जरथुस्त्र 1700-1500 ईपू के बीच हुए थे।
 
4. इसे 'नवरोज' और मनाया जाने वाला नववर्ष शहंशाही है।
 
5. इस दिन विशेष तौर पर चटकीले लाल रंग की रंगोली बनाएं ताकि आपके भाग्य और समृद्धि बढ़ें।
 
6. इस दिन गुलाब के पानी से सुगंधित स्नान करें। नए वस्त्र धारण करें। अपनी पसंद का इत्र लगाएं।
 
7. इस दिन पारसी मंदिर अग्यारी (अगियारी) में प्रार्थना करने अवश्य जाएं। अग्यारी में अपने सिर को ढंक कर प्रार्थना करें।
 
8. तत्पश्चात पवित्र अग्नि के समक्ष चंदन की लकड़ी जलाकर सच्चे मन से ईश्वर से प्रार्थना करें। 
 
9. पारसी नववर्ष के दिन सुबह जल्दी उठें औरसभी उपस्थित लोगों को नववर्ष की शुभकामनाएं दें।
 
10. घर के प्रत्येक कोने को साफ-सुथरा करके सुगंधित अगरबत्तियां जलाएं एवं चंदन का पावडर छिड़कें।
 
11. पारसी समुदाय द्वारा महात्मा जरथुस्त्र का जन्म दिवस 24 अगस्त को मनाया जाता है। 
 
12. इतना ही नहीं, घर आने वाले मेहमानों पर गुलाब जल और इत्र छिड़ककर उनका स्वागत करें।
 
13. पारसी समुदाय धर्म-परिवर्तन पर विश्वास नहीं रखता। पारसी समाज बंधु अपने धर्म के प्रति पूर्ण आस्था रखते हैं। नववर्ष और अन्य पर्वों के अवसर पर लोग पारसी धर्मशाला में आकर पूजन करते हैं।
 
14. पारसी समाज में अग्नि का भी विशेष महत्व है और इसकी खास पूजा भी की जाती है। 
 
15. मान्यता नुसार अगर पारसी समाज की लड़की किसी दूसरे धर्म में शादी कर ले, तो उसे धर्म में रखा जा सकता है, लेकिन उसके पति और बच्चों को धर्म में शामिल नहीं किया जाता है। ठीक इसी तरह लड़कों के साथ भी होता है। लड़का भी यदि किसी दूसरे समुदाय में शादी करता है तो उसे और उसके बच्चों को धर्म से जुड़ने की छूट है, लेकिन उसकी पत्नी को नहीं।
 
16. समाज का कोई भी व्यक्ति किसी दूसरे शहर या देश से यहां आता है तो उसके रहने और खाने की व्यवस्था पूर्ण आस्था और सेवाभाव से समाजवासी करते हैं। 
 
17. सुगंधित लाल गुलाब के पुष्पों से अपने घर एवं कमरों को सजाएं। साथ ही चमेली के पुष्‍प का भी उपयोग करें।
 
18. इन दिनों में समाज का हर व्यक्ति अपने पूर्वजों की आत्मशांति के लिए पूजन करता है। इसका भी एक खास तरीका है। रात 3.30 बजे से खास पूजा-अर्चना होती है। धर्म के लोग चांदी या स्टील के पात्र में फूल रखकर अपने पूर्वजों को याद करते हैं।
 
19. पारसियों में 1 वर्ष 360 दिन का और शेष 5 दिन गाथा के लिए होते हैं। गाथा यानी अपने पूर्वजों को याद करने का दिन। साल खत्म होने के ठीक 5 दिन पहले से इसे मनाया जाता है। 
 
20. नववर्ष पारसी समुदाय में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। धर्म में इसे खौरदाद साल के नाम से जाना जाता है। 
 
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