नाग पूजन के दिन क्या करें
श्रावण शुक्ल पंचमी को करें नाग पूजन
पौराणिक धर्मग्रंथों के अनुसार प्रतिवर्ष श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पूजा का विधान है। इस व्रत के साथ एक बार भोजन करने का नियम है। इस दिन आंच पर तवा रखना और साग-भाजी को काटना वर्जित माना जाता है। नाग पंचमी के दिन पूजा में नाग देवता के चित्र बनाए जाते है। सोने-चांदी से निर्मित नाग-नागिन के जोड़े का विधि-विधान से पूजन किया जाता है। नाग देवता के स्थान पर जाकर बांबी पूजन करें। उन्हें दूध, फूल, सुगंधित इत्र, धूप-दीप, अगरबत्ती, खीर एवं तरह-तरह के नैवेद्य चढ़ाकर उनका पूजन किया जाता है। -
अपने घर के दरवाजे के दोनों तरफ गाय के गोबर अथवा देसी घी से सर्प बनाकर उनका पूजन किया जाता है। माना जाता है कि ऐसा करने से घर में सर्पों का भय नहीं रहता हैं। -
ब्राह्मण को भोजन कराकर दान-दक्षिणा दी जाती है। -
सपेरों को अथवा गरीबों को पुराने वस्त्रों का दान और दक्षिणा दी जाती है। -
भविष्य पुराण के अनुसार नाग पूजन में निम्न मंत्रों का उच्चारण कर पूजन करना लाभदायी होता है।
मंत्र निम्नानुसार है :- '
सर्वे नागा: प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथ्वीतले।ये च हेलिमरीचिस्था ये न्तरे दिवि संस्थिता:।। ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिन:। ये च वापीतडागेषु तेषु सर्वेषु वै नम:।।' अर्थात् - संपूर्ण आकाश, पृथ्वी, स्वर्ग, सरोवर-तालाबों, नल-कूप, सूर्य किरणें आदि जहां-जहां भी नाग देवता विराजमान है। वे सभी हमारे दुखों को दूर करके हमें सुख-शांतिपूर्वक जीवन दें। उन सभी को हमारी ओर से बारंबार प्रणाम...। -
राजश्री