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Last Updated : शनिवार, 3 सितम्बर 2022 (18:21 IST)

वामन जयंती कब है, जानिए क्या है शुभ मुहूर्त, पर्व का महत्व और वामन अवतार की कथा

वामन जयंती कब है, जानिए क्या है शुभ मुहूर्त, पर्व का महत्व और वामन अवतार की कथा - Vaman Jayanti Avatar Katha
Vaman Jayanti 2022: भाद्रपद शुक्ल पक्ष की द्वादशी को भगवान वामन की जयंती मनाई जाती है। इसकी बाद ओणम महावर्प रहता है। वामन जयंती और ओणम पर्व दोनों ही एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। भगवान विष्णु ने पांचवें अवतार के रूप में त्रिविक्रम नाम से जन्म लिया था जिन्हें बाद में वामन कहा गया। इस बार वामन जयंती 7 सितंबर गुरुवार को है।
 
 
7 सितंबर 2022 के शुभ मुहूर्त : 
अमृत काल : सुबह 10:11 से 11:38 तक।
विजय मुहूर्त : दोपहर 02:40 से 03:30 तक।
गोधूलि मुहूर्त : शाम 06:36 से 07:00 तक।
योग : शोभन योग रहेगा। 
 
पर्व का महत्व : यह पर्व दक्षिण और उत्तर भारत की संस्कृति को जोड़ता है। कहते हैं इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा करने तथा उनकी कथा सुनने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और व्यक्ति परमपद प्राप्त करता है।
 
वामन अवतार कथा (vamana avatar katha) : सत्ययुग में प्रह्लाद के पौत्र दैत्यराज बलि ने स्वर्गलोक पर अधिकार कर लिया। सभी देवता इस विपत्ति से बचने के लिए भगवान विष्णु के पास गए। तब भगवान विष्णु ने कहा कि मैं स्वयं देवमाता अदिति के गर्भ से उत्पन्न होकर तुम्हें स्वर्ग का राज्य दिलाऊंगा। कुछ समय पश्चात भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया।
 
एक बार जब बलि महान यज्ञ कर रहा था तब भगवान वामन बलि की यज्ञशाला में गए और राजा बलि से तीन पग धरती दान में मांगी। राजा बलि के गुरु शुक्राचार्य भगवान की लीला समझ गए और उन्होंने बलि को दान देने से मना कर दिया। लेकिन बलि ने फिर भी भगवान वामन को तीन पग धरती दान देने का संकल्प ले लिया। भगवान वामन ने विशाल रूप धारण कर एक पग में धरती और दूसरे पग में स्वर्ग लोक नाप लिया। जब तीसरा पग रखने के लिए कोई स्थान नहीं बचा तो बलि ने भगवान वामन को अपने सिर पर पग रखने को कहा। बलि के सिर पर पग रखने से वह सुतललोक पहुंच गया। बलि की दानवीरता देखकर भगवान ने उसे सुतललोक का स्वामी भी बना दिया। इस तरह भगवान वामन ने देवताओं की सहायता कर उन्हें स्वर्ग पुन: लौटाया।