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Written By WD Feature Desk
Last Updated : शनिवार, 30 अगस्त 2025 (12:44 IST)

जन्माष्टमी के कितने दिन बाद मनाई जाती है राधाष्टमी? जानें तिथि पूजा विधि और महत्व

राधा अष्टमी 2025
Radha Ashtami 2025 tithi and Puja Vidhi: भारतीय संस्कृति में भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी का अटूट संबंध है। जहां एक ओर पूरा देश जन्माष्टमी के दिन श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव में डूबा रहता है, वहीं कुछ ही दिनों बाद उनकी प्रिय राधा रानी का जन्मोत्सव भी मनाया जाता है, जिसे राधाष्टमी कहते हैं। कई लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि ये दोनों पर्व आपस में कैसे जुड़े हैं और इनके बीच कितने दिनों का अंतर होता है।

15 दिनों का दिव्य संबंध
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, राधाष्टमी का पावन पर्व जन्माष्टमी के ठीक 15 दिन बाद मनाया जाता है। श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को हुआ था, जबकि राधा रानी का प्राकट्य भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को हुआ। यही कारण है कि इन दोनों पर्वों के बीच 15 दिनों का अंतर होता है, जो कृष्ण पक्ष के समाप्त होने और शुक्ल पक्ष के आरंभ होने का प्रतीक है। इस बार राधा अष्टमी का पर्व 31 अगस्त को मनाया जाएगा। 

राधाष्टमी का महत्व और पूजा विधि
राधाष्टमी का दिन भगवान श्रीकृष्ण के भक्तों के लिए उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना कि जन्माष्टमी। कहा जाता है कि राधा रानी की पूजा के बिना भगवान कृष्ण की पूजा अधूरी मानी जाती है। राधाष्टमी के दिन विधि-विधान से पूजा करने पर घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है।

पूजा विधि:
प्रातःकाल का स्नान: राधाष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
मंडप सजाना: पूजा के लिए एक मंडप या चौकी सजाएं और उस पर लाल या पीले रंग का वस्त्र बिछाएं।
प्रतिमा स्थापित करना: इस पर राधा रानी और भगवान कृष्ण की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। राधा रानी की प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराकर उनका श्रृंगार करें।
पूजन और भोग: राधा रानी को उनकी प्रिय चीजें, जैसे गुलाब के फूल, मोर पंख, बांसुरी और श्रृंगार सामग्री अर्पित करें। इसके बाद उन्हें मिष्ठान (विशेष रूप से खीर या रबड़ी) का भोग लगाएं।
आरती और व्रत: धूप-दीप जलाकर राधा रानी और श्रीकृष्ण की आरती करें। इस दिन भक्त व्रत भी रखते हैं और मध्याह्न के समय पूजा करने के बाद ही भोजन ग्रहण करते हैं।
मंत्र जाप: राधाष्टमी के दिन राधा गायत्री मंत्र का जाप करना बेहद शुभ माना जाता है।

क्यों महत्वपूर्ण है राधाष्टमी?
यह पर्व हमें राधा-कृष्ण के प्रेम और भक्ति की शुद्धता का संदेश देता है। राधा रानी को देवी लक्ष्मी का अवतार माना जाता है, और उनकी भक्ति से जीवन में धन, ऐश्वर्य और शांति का वास होता है। राधाष्टमी का व्रत करने से भक्तों को सभी पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन के कष्ट दूर होते हैं। यह त्योहार विशेष रूप से बरसाना, मथुरा और वृंदावन में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।
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