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ओणम पर्व विशेष : जानिए कैसे मनाएं यह पर्व

ओणम पर्व विशेष : जानिए कैसे मनाएं यह पर्व - Onam 2017
* ओणम पर्व की 7 विशेष बातें, जो आपको जानना चाहिए... 
 
भारत भर के उत्सवों एवं पर्वों का विश्व में एक अलग स्थान है। भार‍त विविध धर्मों, जातियों तथा संस्कृतियों का देश है। सर्वधर्म समभाव के प्रतीक केरल प्रांत का मलयाली पर्व 'ओणम' राजा बलि की आराधना का दिन, समाज में सामाजिक समरसता की भावना, प्रेम तथा भाईचारे का संदेश पूरे देश में पहुंचाकर देश की एकता एवं अखंडता को मजबूत करने की प्रेरणा देता है। 
 
इस साल 25 अगस्त से शुरू हुआ ओणम पर्व, 5 सितंबर 2017 तक चलेगा। 10 दिन तक चलने वाला यह उत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। वैसे तो केरल में इसकी धूम होती है, लेकिन दुनिया भर में बसे मलयाली अपने-अपने तरीके से इसे मनाते हैं। 
 
प्राचीन मान्यता है कि राजा बलि ओणम के दिन अपनी प्रजा से मिलने आते हैं। उन्हें यह सौभाग्य भगवान विष्णु से मिला था। उसके चलते समाज के लोग विष्णु की आराधना और पूजा करने के साथ ही अपने राजा का स्वागत करते हैं। ओणम पर्व का सबसे खास आकर्षण होता है साद्य। ओणम के दौरान खाए जाने वाले खाने को साद्य कहते हैं। कह सकते हैं कि साद्य के बिना ओणम अधूरा है। साद्य में विशेष और लजीज पकवानों से राजा बलि को प्रसन्न किया जाता है।  
 
ओणम पर्व की मान्यता : इस पर्व की ऐसी मान्यता है कि राजा बलि केरल के राजा थे, उनके राज्य में प्रजा बहुत सुखी व संपन्न थी, किसी भी तरह की कोई समस्या नहीं थी, वे महादानी भी थे। उन्होंने अपने बल से तीनों लोकों को अपने कब्जे में ले लिया था। इसी दौरान भगवान विष्णु वामन अवतार लेकर आए और तीन पग में उनका पूरा राज्य लेकर उनका उद्धार कर दिया। माना जाता है कि वे साल में एक बार अपनी प्रजा को देखने के लिए आते हैं। तब से केरल में हर साल राजा बलि के स्वागत में ओणम का पर्व मनाया जाता है।
जानिए ओणम पर्व पर क्या है खास... 
 
* ओणम नई फसल के आने की खुशी में भी मनाया जाता है। 
 
* इसके साथ ही ओणम पर्व पर राजा बलि के स्वागत के लिए घरों की आकर्षक साज-सज्जा के साथ तरह-तरह के पकवान बनाकर उनको भोग अर्पित करती है। 
 
* हर घर के सामने रंगोली सजाने और दीप जलाने की भी परंपरा हैं।
 
*  हर घर में विशेष पकवान बनाए जाते हैं। खास तौर पर चावल, गुड़ और नारियल के दूध को मिलाकर खीर बनाई जाती है। 
 
* इसके साथ ही कई तरह की सब्जियां, सांभर आदि भी बनाया जाता है। 
 
* इस अवसर पर मलयाली समाज के लोगों ने एक-दूसरे को गले मिलकर शुभकामनाएं देते हैं।

साथ ही परिवार के लोग और रिश्तेदार इस परंपरा को साथ मिलकर मनाते हैं। 
 
 
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