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Written By WD Feature Desk
Last Updated : बुधवार, 22 मई 2024 (15:42 IST)

Narasimha jayanti 2024: भगवान नरसिंह जयन्ती पर जानें पूजा के शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

नृसिंह भगवान की जयंती पर जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Narasimha Jayanti 2024
Lord Narasimha Jayanti: वैशाख शुक्ल चतुर्दशी तिथि को नरसिंह जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस बार यह तिथि 21 मई 2024 मंगलवार को रहेगी। हालांकि फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को भी रसिंह जयंती मनाई जाती है। वैशाख शुक्ल चतुर्दशी, स्वाति नक्षत्र तथा मंगलवार के संयोग को नरसिंह जयन्ती व्रत करने हेतु अत्यधिक शुभ माना जाता है।
 
पूजा का शुभ मुहूर्त :
आरती समय : प्रातः 04:25 से 05:27 तक।
अभिजीत मुहूर्त : सुबह 11:51 से दोपहर 12:45 तक।
विजय मुहूर्त : दोपहर 02:35 से दोपहर 03:30 तक।
गोधूलि मुहूर्त : शाम 07:07 से 07:28 तक।
रवि योग : सुबह 05:46 से अगले दिन सुबह 05:27 तक।
 
नरसिंह भगवान का मंत्र:
- नृम नृम नृम नर सिंहाय नमः।
- ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम्।
नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्यु मृत्युं नमाम्यहम्॥
पूजा विधि- Narasimha Jayanti 202 Puja VIdhi 
- नरसिंह जयन्ती व्रत का पालन करने के नियम, पूजा तथा दिशानिर्देश एकादशी व्रत के समान हैं।
- नृसिंह जयंती के दिन व्रतधारी प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में सोकर उठें।
- पूरे घर की साफ-सफाई करें।
- इसके बाद गंगा जल या गौमूत्र का छिड़काव कर पूरा घर पवित्र करें।
- तत्पश्चात निम्न मंत्र बोले- नृसिंह देवदेवेश तव जन्मदिने शुभे। उपवासं करिष्यामि सर्वभोगविवर्जितः॥
- इस मंत्र के साथ दोपहर के समय क्रमशः तिल, गोमूत्र, मृत्तिका और आंवला मल कर पृथक-पृथक चार बार स्नान करें। 
- इसके बाद शुद्ध जल से स्नान करना चाहिए।
- पूजा के स्थान को गोबर से लीपकर तथा कलश में तांबा इत्यादि डालकर उसमें अष्टदल कमल बनाना चाहिए।
- अष्टदल कमल पर सिंह, भगवान नृसिंह तथा लक्ष्मीजी की मूर्ति स्थापित करना चाहिए। 
- तत्पश्चात वेदमंत्रों से इनकी प्राण-प्रतिष्ठा कर षोडशोपचार से पूजन करना चाहिए।
- इस दिन व्रती को दिनभर उपवास रहना चाहिए।
- ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- रात्रि में गायन, वादन, पुराण श्रवण या हरि संकीर्तन से जागरण करें। 
- दूसरे दिन फिर पूजन कर ब्राह्मणों को भोजन कराएं।
- अपने सामर्थ्य के अनुसार भू, गौ, तिल, स्वर्ण तथा वस्त्रादि का दान देना चाहिए।
- क्रोध, लोभ, मोह, झूठ, कुसंग तथा पापाचार का त्याग करना चाहिए।
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