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धन व समृद्धि का आशीष देती है कोजागरी पूर्णिमा, कैसे करें व्रत, पढ़ें 8 खास बातें, व्रत विधि और महत्व

धन व समृद्धि का आशीष देती है कोजागरी पूर्णिमा, कैसे करें व्रत, पढ़ें 8 खास बातें, व्रत विधि और महत्व। Kojagiri Purnima Vrat Vidhi - Kojagiri Purnima Vrat Vidhi
आश्विन मास की पूर्णिमा को कोजागरी व्रत रखा जाता है। हिन्दू धर्म में इस दिन कोजागर व्रत माना गया है। इसे कौमुदी व्रत भी कहते हैं। इसी दिन श्रीकृष्ण ने महारास रचाया था। मान्यता है कि इस रात्रि को चन्द्रमा की किरणों से अमृत झड़ता है। इस दिन खीर बनाकर रात भर चांदनी में रखने का रिवाज है।
 
कोजागरी पूर्णिमा को विशेष रूप से देवी लक्ष्मी की पूजा करने का विधान है। यह व्रत लक्ष्मीजी को प्रसन्न करने वाला माना जाता है। यहां पढ़ें व्रत विधि एवं व्रत का फल...
 
कोजागरी व्रत विधि : 
 
* नारद पुराण के अनुसार आश्विन मास की पूर्णिमा को प्रातः स्नान कर उपवास रखना चाहिए। 
 
* इस दिन पीतल, चांदी, तांबे या सोने से बनी लक्ष्मी प्रतिमा को कपड़े से ढंककर विभिन्न विधियों द्वारा देवी पूजा करनी चाहिए। 
 
* इसके पश्चात रात्रि को चंद्र उदय होने पर घी के 11 दीपक जलाने चाहिए। 
 
* दूध से बनी हुई खीर को बर्तन में रखकर चांदनी रात में रख देना चाहिए।
 
* कुछ समय बाद चांद की रोशनी में रखी हुई खीर का देवी लक्ष्मी को भोग लगाकर उसमें से ही ब्राह्मणों को प्रसादस्वरूप दान देना चाहिए। 
 
* अगले दिन माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए और व्रत का पारणा करना चाहिए।
  
* इस दिन रात के समय जागरण या पूजा करना चाहिए। 
 
* इसके अलावा इस व्रत की महिमा से मृत्यु के पश्चात व्रती सिद्धत्व को प्राप्त होता है।
 
कथा : कोजागर या कोजागरी व्रत में एक प्रचलित कथा है कि इस दिन माता लक्ष्मी रात के समय भ्रमण कर यह देखती हैं कि कौन जाग रहा है। जो जागता है उसके घर में मां अवश्य आती हैं।
 
फल : ऐसा माना जाता है कि पूर्णिमा को किए जाने वाला कोजागरी व्रत लक्ष्मीजी को अतिप्रिय हैं इसलिए इस व्रत का श्रद्धापूर्ण पालन करने से लक्ष्मीजी अति प्रसन्न हो जाती हैं और धन व समृद्धि का आशीष देती हैं।