Kala bhairav Jayanti 2023: वर्ष 2023 में भगवान काल भैरव की जयंती 5 दिसंबर, दिन मंगलवार को मनाई जा रही है। इस बार कालाष्टमी पर्व मंगलवार को होने से इसका महत्व अधिक बढ़ गया है।
महत्व: भगवान काल भैरव से तो काल भी भयभीत रहता है, इसलिए उन्हें कालभैरव कहा जाता है। इस दिन को कालभैरव जयंती, कालाष्टमी, मासिक कृष्ण जन्माष्टमी भी कहा जाता है। इस बार मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष में काल भैरव जयंती शुरुआत 4 दिसंबर, सोमवार को 01.29 पी एम से हो रही है। अत: कैलेंडर के मतांतर के चलते यह पर्व 4 और 5 दिसंबर को मनाया जा सकता है।
धर्मशास्त्रों के अनुसार वैसे तो प्रमुख कालाष्टमी का व्रत कालभैरव जयंती के दिन किया जाता है, लेकिन कालभैरव के भक्त हर महीने ही कृष्ण पक्ष की अष्टमी पर इनकी पूजा और अर्चना करते हैं और व्रत रखते हैं। साथ ही इस दिन भगवान शनिदेव, भोलेनाथ तथा मां दुर्गा की उपासना करने का भी विशेष महत्व है।
कालाष्टमी हमें काल का स्मरण कराती है। यदि आप भी किसी तरह के भय से परेशान हैं तो कालाष्टमी पर भैरव जी का पूजन करके उन्हें प्रसन्न कर सकते हैं और हर तरह के भय तथा संकट से मुक्ति पा सकते हैं।
आइए जानते हैं यहां कालभैरव जयंती की पूजन विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में-
कालभैरव जयंती 2023 के शुभ मुहूर्त : Kalabhairav Jayanti Muhurat 2023
मार्गशीर्ष कृष्ण अष्टमी तिथि का प्रारंभ- 4 दिसंबर 2023, दिन सोमवार को 01.29 पी एम से शुरू
कालभैरव जयंती तिथि की समाप्ति- 5 दिसंबर, मंगलवार को 04.07 पी एम पर होगी।
दिन का चौघड़िया
अमृत- 05.00 ए एम से 06.35 ए एम
शुभ- 08.09 ए एम से 09.44 ए एम
चर- 12.54 पी एम से 02.29 पी एम
लाभ- 02.29 पी एम से 04.04 पी एम
अमृत- 04.04 पी एम से 05.38 पी एम
रात्रि का चौघड़िया
चर- 05.38 पी एम से 07.04 पी एम
लाभ- 09.54 पी एम से 11.19 पी एम
शुभ- 12.44 ए एम से 5 दिसंबर को 02.10 ए एम,
अमृत- 02.10 ए एम से 5 दिसंबर को 03.35 ए एम,
चर- 03.35 ए एम से 5 दिसंबर को 05.00 ए एम तक।
आज के अन्य मुहूर्त :
* ब्रह्म मुहूर्त- 03.29 ए एम से 04.14 ए एम
* प्रातः सन्ध्या- 03.52 ए एम से 05.00 ए एम
* अभिजित मुहूर्त- 10.54 ए एम से 11.44 ए एम
* विजय मुहूर्त- 01.26 पी एम से 02.16 पी एम
* गोधूलि मुहूर्त- 05.37 पी एम से 06.00 पी एम
* सायाह्न सन्ध्या- 05.38 पी एम से 06.47 पी एम
* अमृत काल- 01.23 पी एम से 03.11 पी एम
* निशिता मुहूर्त- 10.57 पी एम से 11.42 पी एम
* रवि योग- 05.00 ए एम से 04.05 पी एम
पूजा विधि- Kalabhairav Jayanti Puja Vidhi
- कालभैरव जयंती के दिन ब्रह्म मुहूर्त में नित्य क्रियाओं से निवृत्त होकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें।
- लकड़ी के पटिये पर सबसे पहले शिव और पार्वती जी का चित्र स्थापित करके फिर काल भैरव के चित्र को स्थापित करें।
- आचमन करके भगवान को गुलाब का हार पहनाएं अथवा पुष्प चढ़ाएं।
- फिर चौमुखी दीया जलाकर गुग्गल की धूप जला दें।
- हल्दी, कुमकुम से सभी को तिलक लगाए तथा हथेली में गंगाजल लेकर व्रत का संकल्प लें।
- शिव-पार्वती तथा भैरव जी पूजन करके आरती उतारें।
- अब अपने पितरों को याद करके उनका श्राद्ध करें।
- व्रत के पूर्ण होने के बाद काले कुत्ते को मीठी रोटी या कच्चा दूध पिलाएं।
- पुन: अर्द्धरात्रि में धूप, काले तिल, दीपक, उड़द और सरसों के तेल से काल भैरव की पूजा करें।
- इस दिन व्रत-उपवास रखकर रात्रि में भजन-कीर्तन करते हु भैरव जी की महिमा गाएं।
- इस दिन शिव चालीसा, भैरव चालीसा तथा मंत्र 'ॐ कालभैरवाय नम: का जाप करें।