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पर्यावरण का संदेश देती है हरतालिका तीज, 16 तरह की पत्तियां चढ़ती हैं उमा महेश्वर को

पर्यावरण का संदेश देती है हरतालिका तीज, 16 तरह की पत्तियां चढ़ती हैं उमा महेश्वर को - hartalika teej vrat 2018
हरतालिका तीज का व्रत करने से विवाहित महिलाओं को अखंड सौभाग्य प्राप्त होता है और कुंआरी लड़कियों को मनभावन पति मिलता है। देवी पार्वती ने स्वयं इस व्रत को कर भगवान शिव को प्राप्त किया था।

ऐसी महिमा वाले इस परम पवित्र तीज को हर विवाहित तथा अविवाहित स्त्री को करना चाहिए। इस पर्व को पर्यावरण से जोड़कर भी देखा जाता है, क्योंकि इस दिन महिलाएं सावन के बाद आई नई 16 तरह की पत्तियों को शिवजी को चढ़ाकर अपने घर में हर प्रकार की वृद्धि का वर मांगती हैं। 

 
कौन सी पत्तियां चढ़ाएं 
 
बिल्वपत्र, 
तुलसी, 
जातीपत्र, 
सेवंतिका, 
बांस, 
देवदार पत्र, 
चंपा, 
कनेर, 
अगस्त्य, 
भृंगराज, 
धतूरा, 
आम के पत्ते, 
अशोक के पत्ते,
पान के पत्ते
केले के पत्ते
शमी के पत्ते
 
इस प्रकार 16 प्रकार की पत्तियां से षोडश उपचार पूजा करनी चाहिए। 
 
क्या करें 
 
निराहार रहकर व्रत करें।
रात्रि जागरण कर भजन करें।
बालू के शिवलिंग की पूजा करें।
सखियों सहित शंकर-पार्वती की पूजा रात्रि में करें।
पत्ते उलटे चढ़ाना चाहिए तथा फूल व फल सीधे चढ़ाना चाहिए।
हरतालिका तीज की कथा गाना अथवा श्रवण करें।