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तीन तीज में सबसे बड़ी है हरतालिका तीज, जानिए विशेष महत्व और अंतर

तीन तीज में सबसे बड़ी है हरतालिका तीज, जानिए विशेष महत्व और अंतर - Hartalika Teej Hariyali Teej Kajli Teej
तीज यानी तृतीया तिथि। साल में चार बार बड़ी तीज आती है लेकिन उन सभी में 3 तीजों का बहुत महत्व है। उत्तरी भारत, राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और बिहार में तीज पर्व उल्लास से मनाए जाते हैं। मुख्य रूप से यह सावन और भादो के महीने में आती हैं। यह तीज विवाहित सुहागिन महिलाओं के लिए विशेष मंगलकारी मानी गई हैं। तीज का व्रत रखने से सुहागिन स्त्री का सौभाग्य बना रहता है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है। 
 
तीज का महत्व :
 
तीज के दिन सुहागिन स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु के लिए उपवास रखती है। तीज पर्व में भगवान् शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है, पति के अच्छे जीवन के लिए महिलाएं उपवास रखती हैं और कुंवारी कन्याएं अच्छा वर पाने के लिए तीज का व्रत रखती हैं। तीज की तिथि वास्तव में मां पार्वती को समर्पित है। मां पार्वती की हर कथा में यह वर्णित है कि उन्होंने तृतीया तिथि को ही भगवान शिव को पुन: प्राप्त किया था। शंकर-पार्वती, उमा-महेश्वर, सती-शिव की जोड़ी सबसे आदर्श जोड़ी मानी जाती हैं। मां पार्वती ने हर जन्म में भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की। भगवान शिव के सम्मान के लिए वे हवन कुंड में भी स्वाहा हो गईं फिर हर जन्म में उन्होंने अवतार लेकर भगवान शिव का ही वरण किया। उनके सौभाग्य, सतीत्व, पवित्रता और तपोबल का अंश हर भारतीय नारी में हो। वे एक पतिव्रत धारी रहें। उनके आचरण की शुद्धता बनी रहे इसी शुभ उद्देश्य के साथ तीज के व्रतों की महिमा है। इससे पति-प‍त्नी का सौभाग्य तो बना ही रहता है साथ में परस्पर स्नेह और शांति का वातावरण भी निर्मित होता है।    
 
हरियाली तीज, कजली तीज और हरतालिका तीज में हरतालिका तीज सबसे बड़ी मानी गई है। हालांकि विविध अंचलों में हरियाली तीज और कजली तीज को प्राचीन परंपरा के अनुसार महत्व दिया जाता है। 
 
2018 की प्रमुख तीज 
 
हरियाली तीज सोमवार, 13 अगस्त 2018 को संपन्न हो गई है। कजली तीज, बुधवार 29 अगस्त 2018 को संपन्न हुई और अब बारी है हरतालिका तीज की, जो इस साल बुधवार, 12 सितंबर 2018 को मनाई जा रही है। 
 
हरियाली तीज :
हरियाली तीज सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इस तीज के समय पूरी पृथ्वी हरी भरी हो जाती है और सावन की बारिश मौसम को बहुत सुहाना बना देती है। नवविवाहित महिलाओं के लिए इस तीज का बहुत खास महत्व होता है। क्योंकि इस दौरान वे अपने मायके जाती है और उनके परिवार वाले उन्हें पूरा श्रृंगार देते हैं। इस तीज पर झूला झूलने का बड़ा खास महत्व होता है। बहुत से स्थानों पर इस तीज को बड़े पैमाने पर मनाया जाता है।
 
कजली तीज : 
कजली तीज भादो के कृष्ण् पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इस दिन देवी पार्वती और भगवान शिव का पूजन किया जाता है। इस दिन सुहागिन स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु के लिए उपवास रखती है और सोलह श्रृंगार से सज-धजकर पूजन करती हैं।
 
हरतालिका तीज : 
इस तीज को सभी तीजों में सबसे महत्वपूर्ण और लाभकारी तीज माना जाता है। यह तीज भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। हरतालिका तीज को बड़ी तीज व्रत के नाम से भी जाना जाता है। इस व्रत को उत्तरप्रदेश, मध्य प्रदेश, झारखंड, राजस्थान और बिहार के क्षेत्रों में बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।
 
इस दिन सुहागिन महिलाएं अपनी पति की लंबी आयु के लिए सारे दिन निर्जला उपवास रखती है। यह व्रत एक सूर्योदय से लेकर दूसरे सूर्योदय तक चलता है। रात में महिलाएं जागकर देवी पार्वती के गीत गाती हैं। बहुत से क्षेत्रों के रिवाज इससे भिन्न हो सकते हैं।
 
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह सभी तीज मां पार्वती से सौभाग्य का वरदान मांगने और अविवाहिताओं के लिए वर प्राप्ति हेतु की जाती है। 
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