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Written By WD Feature Desk
Last Updated : बुधवार, 4 दिसंबर 2024 (15:43 IST)

कब मनाई जाएगी चंपा षष्ठी, जानें पर्व का महत्व, मुहूर्त, विधि और आरती

Champa Shashti 2024: कब मनाई जाएगी चंपा षष्ठी, जानें पर्व का महत्व, मुहूर्त, विधि और आरती - Champa Shashti Date 2024
2024 Champa shashti: हिन्दू मतानुसार चंपा षष्ठी का त्योहार कर्नाटक, महाराष्ट्र तथा दक्षिण भारत आदि में प्रमुखता से मनाया जाता है। वर्ष 2024 में चंपा षष्ठी का पर्व तिथि के मतांतर के चलते 06 दिसंबर तथा शनिवार, 7 दिसंबर को मनाया जा रहा है। इसे स्कंध षष्ठी व सुब्रहमन्य षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है। 

Highlights 
  • चंपा षष्ठी कैसे मनाते हैं?
  • चंपा षष्ठी कब है?
  • षष्ठी पूजा कब है?
आइए यहां जानते हैं इस पर्व से संबंधित खास जानकारी...
चंपा/ स्कंद षष्ठी का शुभ समय : 
6 दिसंबर 2024, शुक्रवार को स्कंद षष्ठी
 
मार्गशीर्ष शुक्ल षष्ठी का प्रारम्भ - 06 दिसंबर को दोपहर 12 बजकर 07 मिनट से, 
स्कन्द षष्ठी का समापन - 07 दिसंबर को सुबह 11 बजकर 05 मिनट से।
 
चंपा षष्ठी व्रत का महत्व : धार्मिक मान्यतानुसार चंपा षष्ठी के दिन यानि मार्गशीर्ष शुक्ल षष्‍ठी तिथि पर भगवान श्रीगणेश के बड़े भाई तथा भगवान शिव और पार्वती के पुत्र कार्तिकेय की विधि-विधान से पूजा की जाती है। भगवान कार्तिकेय को चंपा के फूल पसंद होने के कारण ही इस दिन को स्कंद षष्‍ठी के अलावा चंपा षष्ठी भी कहते हैं। भगवान कार्तिकेय को स्कंद षष्ठी अधिक प्रिय होने के कारण इस दिन व्रत अवश्य ही रखना चाहिए। खासकर दक्षिण भारत में इस दिन भगवान कार्तिकेय के मंदिर के दर्शन करना बहुत शुभ माना गया है। 
 
पौराणिक मान्यता के अनुसार कार्तिकेय अपने माता-पिता और छोटे भाई श्री गणेश से नाराज होकर कैलाश पर्वत छोड़कर शिव जी के ज्योतिर्लिंग 'मल्लिकार्जुन' आ गए थे और कार्तिकेय ने स्कंद षष्ठी के दिन ही दैत्य तारकासुर का वध किया था तथा इसी तिथि को कार्तिकेय देवताओं की सेना के सेनापति बने थे। 
कार्तिकेय कौन हैं : स्कंद पुराण कार्तिकेय को ही समर्पित है। भगवान कार्तिकेय का वाहन मोर है। स्कंद पुराण में ऋषि विश्वामित्र द्वारा रचित कार्तिकेय 108 नामों का भी उल्लेख हैं। इन्हें स्कंद देव, मुरुगन, सुब्रह्मन्य नामों से भी जाना जाता है। इस दिन 'ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महा सैन्या धीमहि तन्नो स्कंदा प्रचोदयात'। मंत्र से कार्तिकेय का पूजन करने का विधान है। 
 
चंपा षष्ठी पर पूजन की विधि : स्कंद षष्ठी व्रत के दिन व्रतधारियों को दक्षिण दिशा की तरफ मुंह करके तथा उनके मंत्र 'देव सेनापते स्कंद कार्तिकेय भवोद्भव। कुमार गुह गांगेय शक्तिहस्त नमोस्तु ते॥' बोलते हुए भगवान कार्तिकेय का पूजन करना चाहिए। पूजन में दही, घी, जल और पुष्प आदि सामग्री को शामिल करके उनसे अर्घ्य प्रदान करना चाहिए। व्रतकर्ता को रात्रि में भूमि पर शयन करना चाहिए। 
 
चंपा षष्ठी पूजन की आरती- जय जय आरती
 
जय जय आरती वेणु गोपाला
वेणु गोपाला वेणु लोला
पाप विदुरा नवनीत चोरा
जय जय आरती वेंकटरमणा
वेंकटरमणा संकटहरणा
सीता राम राधे श्याम
जय जय आरती गौरी मनोहर
गौरी मनोहर भवानी शंकर
साम्ब सदाशिव उमा महेश्वर
जय जय आरती राज राजेश्वरि
राज राजेश्वरि त्रिपुरसुन्दरि
महा सरस्वती महा लक्ष्मी
महा काली महा लक्ष्मी
जय जय आरती आन्जनेय
आन्जनेय हनुमन्ता
जय जय आरति दत्तात्रेय
दत्तात्रेय त्रिमुर्ति अवतार
जय जय आरती सिद्धि विनायक
सिद्धि विनायक श्री गणेश
जय जय आरती सुब्रह्मण्य
सुब्रह्मण्य कार्तिकेय।
 
चंपा षष्ठी का ज्योतिष शास्त्र में महत्व : ज्योतिष शास्त्र की मानें तो भगवान कार्तिकेय षष्ठी तिथि और मंगल ग्रह के स्वामी हैं तथा दक्षिण दिशा में उनका निवास स्थान है। अत: जिन जातकों की कुंडली में कर्क राशि अर्थात् नीच का मंगल होता है, उन्हें मंगल को मजबूत करने तथा मंगल के शुभ फल पाने के लिए इस दिन भगवान कार्तिकेय का व्रत करना चाहिए। 


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