बुधवार, 9 अप्रैल 2025
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आंवला नवमी पर करें दान-पुण्य, मिलेगा फल...

Amla Navami Festival

पौराणिक मान्यता है कि कार्तिक मास की नवमी को आंवले के पेड़ के नीचे अमृत की वर्षा होती है। अत: कार्तिक शुक्ल नवमी को आंवले की पूजा व उसकी छांव में भोजन का विशेष महत्व माना गया है। कार्तिक मास की नवमी तिथि के दिन आंवले की पूजा करना पुत्र प्राप्ति के लिए भी विशेष लाभदायक माना गया है।


 
 
इस दिन को आंवला नवमी के नाम से जाना जाता है। आंवला नवमी के दिन श्रद्घालुओं द्वारा विशेष तौर पर ब्राह्मणों को कुम्हड़ा दान किया जाता है। मान्यता है कि आंवला नवमी के दिन ब्राह्मणों को बीज युक्त कुम्हड़ा दान करने पर कुम्हड़े की बीज में जितने बीज होते हैं, उतने ही साल तक दानदाता को स्वर्ग में रहने की जगह मिलती है।
 
इस दिन ब्राह्मणों को सोने-चांदी भी दान किए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन ब्राह्मण को सोना-चांदी दान करने पर दान किए गए सोने-चांदी से छः गुना ज्यादा सोने-चांदी प्राप्त होता है।
 
नवमी के दिन महिलाएं जगह-जगह आंवले के वृक्ष के नीचे पूजा-पाठ करके भगवान विष्णु की विधिवत पूजा अर्चना कर भोजन भी ग्रहण करती है। इसके पीछे यह मान्यता है कि कार्तिक शुक्ल नवमी तिथि को आंवले के पेड़ से अमृत की बूंदे गिरती है और यदि इस पेड़ के नीचे व्यक्ति भोजन करता है तो भोजन में अमृत के अंश आ जाता है। जिसके प्रभाव से मनुष्य रोगमुक्त होकर दीर्घायु बनता है।
 
वैसे आंवले के महत्व को वैज्ञानिक भी मान्यता देते हैं। आंवले में विटामिन सी की मात्रा भरपूर होती है। इसीलिए कार्तिक शुक्ल नवमी पर श्रद्घालु आंवले के पेड़ की पूजा करके इसी पेड़ की छांव में भोजन ग्रहण करते हैं तथा आंवले से बने व्यंजनों अपने भोजन में शामिल करते हैं।